मुक्तिबोध और फैज जैसे कवियों ने जब ‘अभिव्यक्ति के खतरे उठाने' और ‘बोल कि लब आजाद हैं तेरे' का आह्वान किया था, वे राज्यसत्ता के चरित्र और उसके द्वारा समय-समय पर लगायी गयी पाबंदियों से भली भांति परिचित थे. मुक्तिबोध ने तो नहीं, पर फैज ने राज्यसत्ता के दमन को ङोला भी था. अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाने का काम सर्वसत्तात्मक और एकदलीय शासन प्रणाली मनमाने ढंग से करती...
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क्या देश में फांसी की सजा खत्म कर देनी चाहिए?
दिल्ली से सटे नोएडा के निठारी कांड में दोषी ठहराए गए सुरिंदर कोली को मिली मौत की सज़ा इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उम्रक़ैद में बदल दी तो ये सवाल फिर उठा की क्या फांसी की सज़ा उचित है। सुरिंदर कोली की दया याचिका राष्ट्रपति पहले ही ठुकरा चुके हैं और अगर सुप्रीम कोर्ट ने दो बार सज़ा टाली न होती तो अब तक उन्हें फांसी दी जा चुकी होती। जिस शख्स की...
More »और बढ़ेगी अमीरी-गरीबी की खाई, 2016 तक एक प्रतिशत लोगों के पास होगी 50% दौलत
गैर सरकारी संस्था ऑक्सफैम के सर्वे में एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है. सर्वे में कहा गया है कि 2016 में दुनिया की आधी दौलत यहां के केवल एक प्रतिशत लोगों के पास होगी. सर्वे में कहा गया है कि इन एक प्रतिशत लोगों की संपत्ति में इस एक साल में दोगुणी बढ़ोतरी हो जायेगी. ऑक्सफैम के अनुसार जहां 2009 में इन लोगों की सम्पत्ति में 44 फ़ीसदी की...
More »शिक्षा की दुनिया से गैजेट्स का नाता - डेजी क्रिस्टोडुलू
मौजूदा डिजिटल युग की नई पीढ़ी जिस सामूहिक व सामाजिक रूप में टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही है, उसे देखते हुए कई लोगों का मानना है कि इससे शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। पर दूसरी तरफ ऐसे लोगों की संख्या भी कम नहीं, जो इस बात को लेकर बेहद चिंतित हैं कि स्मार्टफोन, टैबलेट, ई-रीडर्स व लैपटॉप जैसे गैजेट्स इस नई पीढ़ी की एकाग्रता व गहरे...
More »अभिव्यक्ति का अधिकार
जनसत्ता,(संपादकीय)पिछले कुछ सालों में इस पर काफी चिंता जाहिर की जा चुकी है कि फेसबुक, ब्लॉग, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया के मंचों पर कुछ टिप्पणियों के आधार पर जिस तरह सरकार अभिव्यक्ति की आजादी पर लगाम लगाने की कोशिश कर रही है, उसका देश के लोकतांत्रिक ढांचे और बुनियादी उसूलों पर नकारात्मक असर पड़ेगा। खासकर सूचना तकनीक कानून की धारा 66-ए पर कई सवाल उठाए गए और अदालतों में इसके खिलाफ...
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