क्या हाल-फिलहाल कभी आपके मन में आया कि देश में सूचना का अधिकार कानून के अमल हालत कैसी है ? अगर आपके मन में ऐसा सवाल कौंधा हो तो नीचे लिखे तथ्य आपको जवाब तक पहुंचाने में मददगार साबित हो सकते हैं: देश के 19 सूचना आयोगों में मार्च(2018) के पहले पखवाड़े तक 1.93 लाख द्वितीय अपील और शिकायत की अर्जियां अपने निपटारे की बाट जोहती लंबित पड़ी हैं. केंद्रीय सूचना आयोग...
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नौनिहालों की फिक्र किसे है--- देवेन्द्र जोशी
हाल ही में आई यूनिसेफ की रिपोर्ट चेताती है कि नवजात शिशुओं की मृत्यु दर के मामले में भारत की स्थिति अत्यंत चिंताजनक है। भले ही इस मामले में हम पाकिस्तान से बेहतर स्थिति में हों, लेकिन हमारी स्थिति बांग्लादेश, नेपाल और भूटान से भी बदतर है। भारत नवजात शिशुओं की मृत्यु दर के मामले में इथियोपिया, गिनी-बिसाऊ, इंडोनेशिया, नाइजीरिया और तंजानिया के समकक्ष खड़ा दिख रहा है। भारत में...
More »बड़ी बात, इस कारण नहीं खर्च हो पाया बिहार की जनता के कल्याण का पैसा
पटना : बिहार में राज्य के लोगों के लिए आवंटित कल्याण की राशि बिहार सरकार खर्च नहीं कर पायी है. बिहार के योजना एवं विकास मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा है कि हालांकि, वित्तीय वर्ष 2016-17 की तुलना में वर्ष 2017-18 में 4820.10 करोड़ रुपये अधिक खर्च हुए. बिहार विधानसभा में राजद विधायक ललित कुमार यादव द्वारा पूछे गये एक तारांकित प्रश्न का उत्तर देते हुए...
More »ऐसे तो नहीं बचेंगी बेटियां-- रीता सिंह
नीति आयोग का यह खुलासा चिंतित करने वाला है कि देश के इक्कीस बड़े राज्यों में से सत्रह राज्यों में जन्म के समय लिंगानुपात में गिरावट दर्ज हुई है। नीति आयोग ने अपनी ‘हेल्दी स्टेट्स एंड प्रोग्रेसिव इंडिया' रिपोर्ट में कहा है कि सबसे चिंताजनक हालत गुजरात की है जहां सबसे ज्यादा तिरपन अंकों की गिरावट दर्ज हुई है। जबकि हरियाणा में पैंतीस अंक, राजस्थान में बारह अंक, उत्तराखंड में...
More »महिला खेतिहरों के श्रम का अवमूल्यन क्यों-- ऋतु सारस्वत
हाल ही में जारी आर्थिक समीक्षा दो महत्त्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान खींचती है। एक यह कि कामकाजी महिलाओं की संख्या में गिरावट आई है। वर्ष 2005-06 में रोजगार में आ रही महिलाओं का प्रतिशत 36 था, जो कि कम होकर 2015-16 में 24 प्रतिशत रह गया है। दूसरा यह कि खेती, बागवानी, मत्स्य-पालन, सामाजिकी वानिकी में महिलाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका होने पर भी, उन्हें लंबे समय से उचित महत्त्व नहीं...
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