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राजद्रोह: जुबान बंद रखो, वरना...

-आउटलुक, “राजद्रोह कानून का दुरुपयोग चिंताजनक हद तक बढ़ा” तानाशाही और लोकलुभावनवाद का जोर जिस दौर में स्थापित लोकतंत्रों में भी बढ़ रहा है, राजद्रोह का कानून सरकार का पसंदीदा औजार बन गया है। भारत में पहले भी कई सरकारें राजनैतिक वजहों से राजद्रोह कानून का इस्तेमाल करती रही हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों से असहमति को गैर-कानूनी साबित करने के लिए इसका बड़े पैमाने पर दुरुपयोग भारी चिंताजनक है। इसे लोकतंत्र...

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भाजपाई राज्यों के लोकल रोजगार कानूनों और अखंड भारत के बीच फंसी संवैधानिकता

-जनपथ, भारतीय संविधान का अनुच्छेद 19: 19(ङ) भारत के राज्यक्षेत्र के किसी भाग में निवास करने और बस जाने का, और 19(छ) कोई वृत्ति, उपजीविका, व्यापार या कारोबार करने का अधिकार होगा। हरियाणा का नया कानून: हरियाणा विधानसभा द्वारा नवंबर 2020 में पारित Haryana state Employment of Local Candidates Act, 2020  को राज्यपाल की मंजूरी के पश्चात राज्य की निजी कम्पनियों के लिए  50,000 मासिक तनख्वाह तक वाले रोजगार को स्थानीय नागरिक (जिसका जन्म राज्य...

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कोरोना संकट के दौरान बच्चों के पोषण को आश्वस्त करने में मिड-डे मील स्कीम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है

स्कूल में दिया जाने वाला भोजन दुनिया भर में लाखों कमजोर बच्चों के लिए पोषण सुनिश्चित करता है. दुनिया भर में लगभग 37 करोड़ बच्चे स्कूल फीडिंग प्रोग्रामों का हिस्सा हैं. जबकि COVID-19 महामारी से पहले भारत में दोपहर में मिलने वाले मिड डे मील से 10 करोड़ स्कूली बच्चे लाभान्वित हुए थे, ब्राज़ील (4.8 करोड़), चीन (4.4 करोड़), दक्षिण अफ्रीका (90 लाख) और नाइजीरिया (90 लाख) जैसे देशों में...

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सौ दिन छूते किसान आंदोलन के बीच तीन कृषि कानूनों को फिर से समझने की एक कोशिश

-जनपथ, OPEN SPACE सौ दिन छूते किसान आंदोलन के बीच तीन कृषि कानूनों को फिर से समझने की एक कोशिश March 3, 2021 - by चौधरी सवित मलिक - Leave a Comment             तीन महीने हो चुके हैं दिल्ली के चारों तरफ किसान अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्वक धरना प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन सरकार अपनी हठधर्मिता के चलते किसानों की बात सुनने को तैयार नहीं है। 250 से अधिक किसान इस आंदोलन में शहीद हो चुके हैं। आखिर सरकार...

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दिल्ली दंगा: सरकार के मदद के आश्वासनों के बाद पीड़ितों को मिला 10 फीसदी से भी कम मुआवज़ा

-द वायर, उत्तर पूर्वी दिल्ली का मौजपुर चौक इलाका पहले की ही तरह सामान्य होकर अपनी धुन में चल रहा है. सड़कें हर समय गाड़ियों से भरी रहती हैं, चारों तरफ हॉर्न का शोर सुनाई देता है और बजबजाते लंबे नाले से लगातार दुर्गंध आती रहती है. ज्यादातर बिहार और उत्तर प्रदेश से आए लोग यहां की संकरी गलियों में किसी तरह अपने जीवन की गाड़ी खींच रहे हैं. ऊपर से देखकर ऐसा नहीं...

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