SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 325

जयप्रकाश नारायण : हमेशा प्रासंगिक रहेंगे लोकनायक के आदर्श

जन्म तिथि : 11 अक्तूबर,1902 जन्म स्थान : सिताबदियारा, यूपी मृत्यु : 8 अक्टूबर, 1979 स्थान : पटना, बिहार पिता : देवकी बाबू माता : फूलरानी देवी पत्नी : प्रभावती देवी शिक्षा : एम. ए (समाजशास्त्र) कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय (साल 1922 से 1929 के बीच), बर्कले, विसकांसिन विश्वविद्यालय जेल यात्रा : 7 मार्च, 1940 को ब्रिटिश पुलिस ने उन्हें हजारी बाग जेल में डाल दिया, वे लाहौर की काल कोठरी और आगरा सेंट्रल जेल में भी कैद रहे. ...

More »

लोगों की निराशा का कारण-- एम के वेणु

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) के हाल में आये कंज्यूमर कांफिडेंस सर्वे से यह बात सामने आयी है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर लोगों में एक प्रकार का नैराश्य भाव है.   इसी साल कुछ महीने पहले भी आरबीआइ ने एक ऐसा ही सर्वे किया था, जिसमें उसने पाया था कि बेरोजगारी और अपनी आय को लेकर आम आदमी में निराशा की भावना साल 2013-14 में खराब अर्थव्यवस्था के मुकाबले कहीं ज्यादा प्रबल...

More »

विफलता के बड़े मोर्चे-- भारत डोगरा

विश्व इतिहास में समानता और न्याय के मुद््दे सबसे महत्त्वपूर्ण रहे हैं। ये आज भी बहुत महत्त्वपूर्ण हैं, पर इक्कीसवीं शताब्दी आते-आते कुछ ऐसे मुद््दे भी इसमें जुड़ गए हैं जो धरती पर जीवन के अस्तित्व को लेकर हैं। इनमें मुख्य हैं जलवायु बदलाव जैसे पर्यावरण के गंभीर संकट तथा महाविनाशक हथियारों से जुड़े खतरे। अब एक बड़ी चुनौती यह है कि जीवन के अस्तित्व को संकट में डालने वाले...

More »

अवैध प्रवासियों से कैसी हमदर्दी? - ब्रह्मा चेलानी

म्यांमार में अल्पसंख्यक रोहिंग्या मुसलमानों की दुर्दशा को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़ी चिंता जाहिर की जा रही है, लेकिन चिंता जताने वाले समस्या की जड़ को नहीं पहचान रहे हैं। उन्हें रोहिंग्या आतंकियों का जिहाद नहीं दिख रहा, जिन्होंने अपने हमलों को नई धार दी है। आम धारणा यह है कि हाल के वर्षों में सैन्य दमन के चलते रोहिंग्या अलगाववाद पनपा है, लेकिन तथ्य यह है कि म्यांमार...

More »

भीड़तंत्र से शोरतंत्र तक-- शशि शेखर

पिछले एक हफ्ते से आप सिर्फ बिलखते लोगों की तस्वीरें देख रहे होंगे। गोरखपुर में अकाल काल के गाल में समा जाने वाले नौनिहालों के रोते-चीखते परिजन, नोएडा में जेपी, आम्रपाली सहित तमाम बिल्डर्स के शिकार मध्यवर्गीय लोग, कर्ज-माफी की घोषणा के बावजूद अपनी जान देने पर मजबूर किसान, केरल में सांप्रदायिक हिंसा के शिकार लोगों के परिजन...। क्या गुजरे 70 सालों में हमने यही कमाया है? यह गम और गुबार...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close