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मां-बाप परदेस में,बच्चे स्कूल में- पुष्यमित्र

लगभग दस साल की पिंकी पिछले कुछ सालों तक हर साल अपने माता-पिता के साथ कोलकाता के उपनगर में स्थित एक ईंट-भट्ठे में चली जाती थी. साल के सात से आठ महीने का वक्त वहीं गुजरता था. वहां उसके माता-पिता जहां सुबह से देर शाम तक मजदूरी करते थे, उसका काम अपने दूसरे भाई-बहनों की देख-भाल करना. खाना पकाना और घर संभालना था. जरूरत पड़ने पर उसे ईंट ढोने के लिए...

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आरटीआइ से पंचायतें मांगें अधिकार

मित्रो,                                                                                                                                                                              आप पंचायती राज संस्थाओं के प्रतिनिधि हैं. जनता ने आपको इसलिए चुना कि आप पंचायत, प्रखंड और जिला स्तर पर उनकी बुनियादी समस्याओं को दूर करने के लिए योजनाएं बनाएं, उनका कार्यान्वयन करें और उन पर नियंत्रण रखें. संविधान के 73वें संशोधन ने आपको वही ताकत दी है, जो अपने क्षेत्र में विधायकों और सांसदों को मिला हुआ है. निचले स्तर पर आप पंचायत सरकार हैं. पंचायत सरकारें सत्ता के लोकतांत्रिक ढांचे की...

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फ्री मोबाइल, टैबलेट योजना पर मुहर

नई दिल्ली -  टेलीकॉम विभाग की सर्वोच्च निर्णायक इकाई टेलीकॉम आयोग ने ग्रामीण परिवारों को निशुल्क मोबाइल देने और सरकारी विद्यालयों के छात्रों को निशुल्क टैबलेट देने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी है। इस प्रस्ताव से राजकोष पर कुल 10,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। टेलीकॉम विभाग के सूत्रों के अनुसार,'प्रस्ताव पर चर्चा की गई और ज्यादातर बिंदुओं पर आयोग ने अपनी मंजूरी प्रदान कर दी। हम कुछ और मुद्दों...

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हेराफेरी पर कस रही आरटीआइ की नकेल

सूचना का अधिकार कानून भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई व अपने अधिकारों को पाने का माध्यम बन गया है. झारखंड के गांवों में बड़ी संख्या में लोग आरटीआइ का प्रयोग कर रहे हैं. आरटीआइ के जरिये भ्रष्टाचार का खुलासा करने या अपने अधिकारों को पाने वाले लोगों से प्रेरित होकर दूसरे लोग भी आरटीआइ का उपयोग कर रहे हैं. इस बार की आमुख कथा में पंचायतनामा ने आरटीआइ के ऐसे ही किस्सों...

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गए गुरुजी काम से- राहुल कोटियाल

गया वह ज़माना जब शिक्षक पढ़ाया करते थे. अब उन्हें छत्तीस सरकारी कामों के लिए नौकरी पर रखा जाता है. राहुल कोटियाल की रिपोर्ट. 'वर्तमान शिक्षा-पद्धति रास्ते में पड़ी हुई कुतिया है, जिसे कोई भी लात मार सकता है.’ यह टिप्पणी प्रसिद्ध साहित्यकार श्रीलाल शुक्ल ने अपने सबसे चर्चित उपन्यास 'राग दरबारी' में की थी. यह उपन्यास आज से लगभग पचास साल पहले लिखा गया था. यह वह दौर था जब...

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