दुनिया के मात्र 62 लोगों के पास विश्व के आधे लोगों की कुल संपत्ति से ज्यादा धन है। जाहिर है कि प्रकारांतर से जितना 62 लोगों के पास है, उतना शेष 350 करोड़ लोगों की कुल संपत्ति भी नहीं है। कहा तो गया था कि यह आर्थिक सुधार है, पर इन 20 सालों में फायदा मिला अमीरों को। तीन जानी-मानी आर्थिक आकलन संस्थाओं ने एक ही निष्कर्ष निकाला है कि...
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अहम साल रहा 2015, घातक पर्यावरणीय बदलावों के लिहाज से
बीता वर्ष 2015 अब तक का सबसे गर्म साल रहा है. हालांकि, पिछले करीब एक दशक में कई वर्ष ऐसे रहे हैं, जो उस समय तक सबसे गर्म साल के रूप में आंके गये, लेकिन वर्ष 2015 को इसलिए भी अहम माना जा रहा है, क्योंकि क्लाइमेट चेंज के लिहाज से विशेषज्ञों ने इसे 'टिपिंग प्वाइंट' करार दिया है. क्या इंगित करता है यह टिपिंग प्वाइंट, क्यों जतायी जा रही...
More »सही दिशा में है आर्थिक नीति- तवलीन सिंह
दावोस की पहली सुबह जब मैं बर्फ से ढके बाजार में निकली, तो एक कैफे के शीशे के चमकते दरवाजे पर 'मेक इन इंडिया' पढ़ा, जो बड़े अक्षरों में उस शेर की बगल में लिखा था, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस सपने का प्रतीक बन गया है। यह इसलिए भी अच्छा लगा कि कई वर्षों से निवेशकों के इस महत्वपूर्ण आर्थिक सम्मेलन में भारत अदृश्य रहा है। यह भी...
More »एक-समान शिक्षा प्रणाली से होगा बेहतर समाज का निर्माण
बेहतर देश के निर्माण के लिए बेहतर समाज का होना पहली शर्त है. किसी भी देश का सतत विकास तभी मुमकिन है, जब वहां के विभिन्न समाज और समुदायों के बीच सौहार्द, शांति व भाईचारा हो. बीता साल 2015 इस लिहाज से कुछ अच्छी यादों के साथ-साथ कई कड़वी यादें भी छोड़ गया है. हाल के दशकों में तेज आर्थिक विकास के बावजूद हमारे समाज में व्याप्त कुछ...
More »सिर्फ व्यक्ति की आय बढ़ने से नहीं होता विकास : ज्यां द्रेज
नयी सरकार की आर्थिक घोषणा को ‘बिग बैंग' बताने के लिए इस्तेमाल किया गया. बाद में नयी सरकार की आर्थिक सफलता के दावे को सही ठहराने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि असलियत यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था आर्थिक विकास के मामले में लंबे समय से बहुत अच्छा कर रही है. भारतीय अर्थव्यवस्था मामूली उतार-चढ़ाव के साथ करीब 7.5 फीसदी प्रतिवर्ष की दर से बीते 12 साल से...
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