नई दिल्ली. दुनिया की आबादी 700 करोड़ यानी सात अरब हो गई है। यह इतनी बड़ी संख्या है कि अगर कोई बोल कर एक से 700 अरब तक की गिनती करे तो उसे 200 साल लग जाएंगे। 7 अरब कदमों से करीब 150 बार धरती की परिक्रमा की जा सकती है। तो, यह संख्या जितनी बड़ी है, उतनी ही गंभीर चुनौती दुनिया के लोगों के सामने भी आने वाली है। आज...
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दस साल में दोगुनी हुई गाजियाबाद की आबादी
बढ़ते शहरीकरण का असर उत्तर प्रदेश के महानगरों पर सबसे ज्यादा पड़ा है। पिछले एक दशक के आंकड़ों पर नजर डालें तो गाजियाबाद और लखनऊ की आबादी में भारी बढ़ोतरी हुई है। गाजियाबाद की आबादी इन 10 वर्षो में 13.90 लाख बढ़ी है तो लखनऊ की जनसंख्या में 6.5 लाख का इजाफा हुआ है। गाजियाबाद देश का ऐसा पहला महानगर है जिसकी आबादी इन दस सालों में दोगुनी से भी...
More »महंगाई ने फिर दिखाया रौद्र रुप
महंगाई को जल्दी काबू में करने का वादा कर रही सरकार को जबरदस्त झटका लग गया है। दऱअसल महंगाई के आंकड़े में जोरदार उछाल आ गया है। बीते 8 अक्टूबर को खत्म हफ्ते में खाद्य महंगाई 10.6 फीसदी के स्तर पर जा पहुंची है। इसके पिछले हफ्ते में यह आंकड़ा 9.32 फीसदी के स्तर पर था। इस दौरान प्रमुख खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर भी बढ़कर 11 फीसदी के पार...
More »दस साल में तीन गुना बढ़ी भारतीयों की औसत संपत्ति
दिल्ली. देश में भले ही बड़ी संख्या में गरीब रहते हों, लेकिन प्रति भारतीय औसत संपत्ति विगत दस वर्षो में तीन गुनी बढ़कर 5,500 डॉलर (करीब 2.70 लाख रुपए) हो गई है। इसी के साथ कुल वैश्विक संपत्ति में सबसे अधिक योगदान देने वाले देशों की सूची में भारत छठे पायदान पर आ गया है। इसके बावजूद भारतीयों की औसत संपत्ति 51 हजार डॉलर के इसके वैश्विक आंकड़े की तुलना में काफी कम...
More »नजर, निर्लज्ज नजारा और अनदेखी : एम.जे. अकबर
गरीबी की तुलना में समृद्धि की पहचान बेहद आसान है। दौलत या तो नजर आती है या उसका निर्लज्ज नजारा होता है, जबकि निर्धनता अनदेखी ही बनी रहती है। सबसे बदतर किस्म की गरीबी देश और दुनिया के उन हिस्सों में अदृश्य रहती है, जहां यह सरकार के उद्गम स्थल से बाहर होती है और व्यावसायिक प्रतिष्ठान, नौकरशाही या मीडिया सरीखे आधुनिक जीवन के इंजनों को ईंधन देने का काम करने वाले...
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