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आज़ादी@75: आंदोलन के 74 बरस और नई उम्मीद और नया रास्ता दिखाता किसान आंदोलन

-न्यूजक्लिक,  आज जब हम अपनी आजादी की 74वीं वर्षगांठ और 75वां दिवस मना रहे हैं, संविधान सभा के अंतिम भाषण में डॉ. आंबेडकर द्वारा दी गयी चेतावनी बेहद प्रासंगिक है जिसमें उन्होंने  कहा था कि देश एक अन्तरविरोधों भरे दौर में प्रवेश कर रहा है, हम एक राजनीतिक लोकतंत्र तो बन गए लेकिन सामाजिक लोकतंत्र कायम न हुआ तो यह राजनीतिक लोकतंत्र भी खतरे में पड़ जायेगा। इन 74 वर्षों में देश...

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पाकिस्तान के उर्दू अख़बार चीन और तालिबान पर क्या लिख रहे हैं? - पाकिस्तान उर्दू प्रेस रिव्यू

-बीबीसी, इमरान ख़ान ने कहा है कि कोई भी ताक़त पाकिस्तान और चीन की दोस्ती में दरार नहीं डाल सकती है. चीनी राजदूत से मुलाक़ात के बाद इमरान ख़ान ने कहा कि किसी दुश्मन की ताक़त को पाकिस्तान और चीन की दोस्ती को कमज़ोर करने की इजाज़त नहीं दी जाएगी. इस मुलाक़ात में इमरान ख़ान ने एक दफ़ा फिर इस बात को दोहराया कि अफ़ग़ानिस्तान की समस्या का कोई सैन्य हल नहीं है....

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मोदी सरकार के अधीन कोयले की नीलामियां: छत्तीसगढ़ को सालाना 900 करोड़ रुपये से ज्यादा का घाटा

-न्यूजलॉन्ड्री, केंद्र सरकार ने छत्तीसगड़ में 2015 में दो कोयला ब्लॉकों की नीलामी की. इनमें एक ब्लॉक गारे पाल्मा IV/1 की 1,585 रुपये प्रति टन की बोली लगी जबकि दूसरे गारे पाल्मा IV/7 को 2,619 रुपये में नीलाम किया गया. हालांकि यह कीमतें कम थीं. इस नीलामी पर आरोप लगने के बाद सरकार ने इस अनुबंध को रद्द कर दिया. यह आरोप कार्टेलाइजेशन द्वारा लगाए गए. इसके बाद सरकार ने फिर से...

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पेगासस खुलासों पर नरेंद्र मोदी और इमैनुएल मैक्रों की भिन्न प्रतिक्रियाओं के क्या अर्थ हैं

-द वायर, अगाथा क्रिस्टी ने लिखा है : ‘जुर्म छिपाए नहीं छिपता है. अपने तरीकों को बदलने की चाहे जितनी कोशिश करो, जो कि तुम करोगे, तुम्हारी पसंद, तुम्हारी आदतें, तुम्हारा रवैया और तुम्हारी आत्मा को तुम्हारे कदम जाहिर कर ही देते हैं. पिछले महीने पेगासस प्रोजेक्ट- एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम, द वायर जिसका एक हिस्सा है- ने दुनियाभर में सरकारों द्वारा विश्व नेताओं, विपक्षी राजनीतिज्ञों, पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को सैन्य श्रेणी के...

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अमेरिका की यूज एण्ड थ्रो पॉलिसी से 3 बार जूझने के बाद अब अफगानिस्तान के आगे क्या बचा है

-द प्रिंट, तालिबान की फतह अवश्यंभावी दिख रही है. अफगानिस्तान पिछले एक-दो सप्ताह से दुनिया भर में सुर्खियों में, लेखों में छाया है. गौर कीजिए कि 90 फीसदी लेखों और बहसों में यही मुद्दा उठाया जा रहा है कि अमेरिका से लेकर भारत और चीन तथा बेशक पाकिस्तान आदि दूसरे देशों पर इसका क्या असर पड़ेगा. लेकिन जिस मुल्क, अफगानिस्तान और उसके चार करोड़ आवाम को सबसे ज्यादा तवज्जो और जज़्बाती...

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