सिरसा, संवाद सहयोगी : नहरी पानी की कमी ने कपास की खेती करने वाले किसानों के पसीने छुड़ा दिए है। जिले के किसानों ने डीजल के ट्यूबवेलों के सहारे कपास की बिजाई तो कर ली लेकिन नहरी पानी की उपलब्धता न होने के कारण अब ये फसल जल रही है। अगर स्थिति यही रही तो कृषि विभाग द्वारा बिजाई का लक्ष्य भी ओझल हो जाएगा। पिछले एक साल से बारिश की कमी के साथ-साथ...
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पांच वर्षो में कृषि क्षेत्र में सबसे कम वृद्धि
नई दिल्ली। सूखे के कारण देश के कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2009-2010 में 0.2 प्रतिशत की रही है, जो पिछले पांच साल में वृद्धि दर का सबसे कम आंकड़ा है। वित्त वर्ष 2008-09 में कृषि एवं सहायक क्षेत्रों की वृद्धि दर 1.6 प्रतिशत रही थी। कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर बेशक कम रही हो, लेकिन केंद्रीय सांख्यिकी संगठन [सीएसओ] के पहले के अनुमान के मुकाबले में यह अधिक रही है। सीएसओ...
More »बेलगाम महंगाई पर अब लगेगी लगाम!
नई दिल्ली [जयप्रकाश रंजन]। महंगाई को रोकने की हर कोशिश नाकाम होने के बाद केंद्र सरकार को कृषि तथा मैन्यूफैक्चरिंग दोनों क्षेत्रों से खुशखबरी मिली है। वर्ष 2009-10 की तीसरी तिमाही के मुकाबले चौथी तिमाही में जहां कृषि विकास दर में ढाई फीसदी का इजाफा हुआ है और यह बढ़कर 0.7 फीसदी पर पहुंच गई है। वहीं मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में वृद्धि दर 13.8 से बढ़कर 16.3 फीसदी पर पहुंच गई है। इससे अंतिम तिमाही में जीडीपी...
More »वार्षिक आर्थिक वृद्धि 7.4 प्रतिशत रही
नई दिल्ली। देश की अर्थव्यवस्था ने सरकार के अनुमानों को भी पीछे छोड़ते हुए गत 31 मार्च को समाप्त वित्तीय वर्ष 2009-10 में 7.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। सरकार ने वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] की वृद्धि 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था, जबकि चालू वित्तीय वर्ष की वृद्धि 8.5 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद की गई है। उम्मीद से अधिक के इस आंकड़े का एक बड़ा श्रेय पिछले वित्त वर्ष...
More »रोटी को तरसते लोग, गोदामों में सड़ते अनाज
नई दिल्ली [उमा श्रीराम]। करीब 70 वर्ष पहले चर्चित कवि सुब्रमण्यम भारती ने यह कहकर हलचल मचा दी थी कि यदि दुनिया में एक भी आदमी भूखा है तो इस विश्व को ही नष्ट कर दो। भारती जी ने तभी भारत की आजादी को देख लिया था और उन्होंने आधुनिक भारत, युवा वर्ग व महिलाओं को समर्पित करते हुए कई कविताएं रच डाली थी। पर दुर्भाग्य से वे यह कल्पना भी नहीं कर सके...
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