नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की प्रतिष्ठा का प्रश्न बने खाद्य सुरक्षा विधेयक के पूरे कागजात तक अभी तैयार नहीं है। इसीलिए, वादे के बावजूद मंगलवार को यह विधेयक संसद में पेश नहीं किया जा सका। अब खाद्य मंत्रालय में अधिकारी दिन-रात कागजात पूरे करने में जुटे हैं, ताकि बुधवार को इसे सदन में पेश किया जा सके। कांग्रेसी नेता एक ओर तो खूबियां गिनाते हुए...
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गरीबी और सरकारी अमानवीयता- एम जे अकबर
यह इनसानी स्वभाव है कि व्यक्ति अगर अच्छे मूड में हो, तो वह अपने सहयोगी को इंतजार कर रही त्रासदी से बचाने में गर्व महसूस करता है. एक दागदार व्यक्ति को सतत रूप से जारी फिजूल तमाशे से बचाना एक अच्छा मौका हो सकता है. संभवत: वक्त आ गया है जब हम सब मिल कर 28 साल पहले दिल्ली में हुए सिख विरोधी दंगों के दौरान लोगों को हत्या और...
More »विकास के मॉडल पर कुछ विचार- रविभूषण
र्षों पहले गुन्नार मिर्डल ने ‘एशियन ड्रामा' में लिखा था- ‘औपनिवेशिक सत्ता-व्यवस्था के बिखराव और स्वतंत्र राष्ट्रीय राज्यों के स्वत: उभरने का यह अर्थ नहीं है कि इन भूतपूर्व उपनिवेशों में कोई बड़ा सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन हो.' यह आज भी सच है. स्वतंत्र भारत में कोई बड़ा सामाजार्थिक परिवर्तन नहीं हुआ है. ब्रिटिश शासकों द्वारा निर्मित ढांचा, जिसे बदलने में नेहरू ने 1950-51 में अपनी असमर्थता प्रकट की थी और उस ‘साहस'...
More »वैश्वीकरण बनाम आदिवासी- हरिराम मीणा
जनसत्ता 29 जुलाई, 2013: भूमंडलीकरण का यह वह दौर चल रहा है जब सारे प्राकृतिक संसाधनों का फटाफट और अंधाधुंध दोहन कर लिया जाए, हो सकता है फिर ऐसा सुनहरा अवसर इन कंपनियों को मिले या न मिले। नई आर्थिक नीति की चरम परिणति जन-विरोधी वैश्वीकरण के रूप में अब सामने आ रही है। बहुराष्ट्रीय निगमों, उनको मॉडल मानने वाले देशी पूंजीपतियों और प्राकृतिक संसाधनों की बंदरबांट में लगे राजनीतिकों,...
More »गंडामन त्रासदी की कड़ियां- अपूर्वानंद
जनसत्ता 25 जुलाई, 2013: मीना कुमारी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 302 और 120 के तहत मामला दर्ज किया गया है। यानी उन पर छपरा के गंडामन गांव के नवसृजित प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले तेईस बच्चों की, जो स्कूल का मध्याह्न भोजन खाने के बाद मारे गए, इरादतन हत्या और उनकी हत्या के लिए आपराधिक षड्यंत्र का आरोप है। वे अभी फरार हैं। आज या कल गिरफ्तार कर...
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