यह इनसानी स्वभाव है कि व्यक्ति अगर अच्छे मूड में हो, तो वह अपने सहयोगी को इंतजार कर रही त्रासदी से बचाने में गर्व महसूस करता है. एक दागदार व्यक्ति को सतत रूप से जारी फिजूल तमाशे से बचाना एक अच्छा मौका हो सकता है. संभवत: वक्त आ गया है जब हम सब मिल कर 28 साल पहले दिल्ली में हुए सिख विरोधी दंगों के दौरान लोगों को हत्या और...
More »SEARCH RESULT
वैश्वीकरण बनाम आदिवासी- हरिराम मीणा
जनसत्ता 29 जुलाई, 2013: भूमंडलीकरण का यह वह दौर चल रहा है जब सारे प्राकृतिक संसाधनों का फटाफट और अंधाधुंध दोहन कर लिया जाए, हो सकता है फिर ऐसा सुनहरा अवसर इन कंपनियों को मिले या न मिले। नई आर्थिक नीति की चरम परिणति जन-विरोधी वैश्वीकरण के रूप में अब सामने आ रही है। बहुराष्ट्रीय निगमों, उनको मॉडल मानने वाले देशी पूंजीपतियों और प्राकृतिक संसाधनों की बंदरबांट में लगे राजनीतिकों,...
More »आर्सेलर मित्तल झारखंड, कर्नाटक में बढ़ा रही है कदम
नयी दिल्ली: दुनिया की अग्रणी इस्पात कंपनी आर्सेलर मित्तल ने कहा है कि जमीन अधिग्रहण मामले में प्रगति तथा कच्चे माल की व्यवस्था होने के साथ वह झारखंड तथा कर्नाटक परियोजनाओं में कदम आगे बढ़ाएगी. कंपनी की भारत में 18 अरब डालर की मौजूदा परियोजनाओं के भविष्य को लेकर उठ रहे सवालों के बीच आर्सेलर मिततल ने ये बातें कही है. आर्सेलर मित्तल के प्रवक्ता ने प्रेट्र से कहा, भारत में कंपनी...
More »गांव के हुनर को ऊंची उड़ान
सिरचन के नखरे भी गांव के लोग खुशी-खुशी उठाते थे. उसकी झोपड़ी के आगे ब.डे-ब.डे लोगों की सवारी बंधी रहती थी. लोग उसकी खुशामद करते थे. उसकी इज्जत करते थे. वह न तो साधु था, न साहूकार. न ऊंचे पद पर था, न ऊंजी जाति का. उसकी जाति तो कारीगर की थी. ऐसा कारीगर, जो कुशल था, जिसके हाथ में हुनर था. फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी ‘ठेस’ का यह सेंट्रल...
More »भूमिहीन परिवार बनें जमीन के मालिक
वनाधिकार पट्टा योजना इस योजना के तहत सरकार वैसे आदिवासी परिवारों को बसने और जीवन यापन के लिए वनभूमि पर अधिकार का पट्टा देती है, जिस भूमि पर कोई आदिवासी परिवार लंबे समय से बसा हुआ हो. इस तरह की जमीन अहस्तांतरणीय और गैर व्यावसायिक होती है. यानी पट्टे पर मिली वन भूमि पर आदिवासी परिवार घर बना कर खुद रह सकता है और उस जमीन पर खुद के खाने लायक...
More »