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अब भी दुरुस्त नहीं विश्व की आर्थिक दशा - यूएन रिपोर्ट

अगर आप यह सोचते हैं कि महामंदी का कहर अब उतार पर है और अर्थजगत की सेहत के लिहाज से सबसे बुरा वक्त बीच चुका है तो यह रिपोर्ट खास आपके ही लिए है। संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा हाल ही में जारी वर्ल्ड इकॉनॉमिक सिचुएशन एंड प्रास्पेक्टस्-२०१० (डब्ल्यू ई एस पी) नामक रिपोर्ट में आशंका जतायी गई है कि विकासशील देशों में आर्थिक वृद्धि की सालाना रफ्तार मंदी से पहले...

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चौ. रणबीर सिंह के प्रयासों से रखी गई हरित-क्रांति : प्रणब

रोहतक,  जागरण संवाददाता : केंद्रीय वित्ता मंत्री प्रणब  मुखर्जी ने कहा कि स्वतंत्रता सेनानी चौ. रणबीर  सिंह की पहल के चलते भाखड़ा  बांध परियोजना सिरे चढ़ी, जो हरित क्रांति लाने में मील का पत्थर साबित हुई। उन्होंने चौ. रणबीर सिंह सामाजिक एवं आर्थिक परिवर्तन संस्थान 'स्वराज सदन' की आधारशिला रखी। बृहस्पतिवार को सुबह करीब 11  बजे केंद्रीय वित्ता मंत्री प्रणब  मुखर्जी एमडी  यूनिवर्सिटी परिसर पहुंचे। आडिटोरियम में चौ. रणबीर सिंह शोध पीठ के तत्वावधान में आयोजित प्रथम स्मृति...

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जलवायु परिवर्तन पर सहमति संभव नहीं : भारत

 दावोस (स्विटजरलैंड ) :  जलवायु परिवर्तन की बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने वाले शीर्ष अधिकारी श्याम शरण ने कहा है कि इस मुद्दे पर दुनिया के देशों के बीच आम सहमति बन पाना संभव नहीं है. श्री शरण ने यहां व्यापार एवं नीतियों को लेकर हो रहे सम्मेलन में कहा कि यदि आर्थिक मंदी का दौर जारी रहता है या फ़िर आने वाले वषाब में स्थिति और खराब हुयी तो फ़िर ऐसी स्थिति में...

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बिहार की चमत्कारिक आर्थिक वृद्धि- मिथक या यथार्थ

क्या यह बात सच है कि विकास के मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार को महज चार सालों में गुजरात के करीब पहुंचा दिया है। समाचारों की माने तो सचमुच ऐसा ही है( देखें नीचे दी गई लिंक) लेकिन आंकड़ों का विश्लेषण ऐसा कहने से इनकार करता है।   बिहार की आर्थिक प्रगति के अर्धसत्य को परोसने के लिए समाचारों में आधार बनाया गया है केंद्रीय सांख्यिकी एवम् कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय...

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आतंक के साये में पलायन कर रहे ग्रामीण

झाड़ग्राम [जासं]। पश्चिम मेदिनीपुर जिले के माओवाद प्रभावित जंगल महल क्षेत्र में विगत 7 मार्च से पुलिस व सुरक्षा बल की ओर से माओवादियों की तलाश में अभियान का तीसरा चरण आरंभ किया गया। अभियान के नाम पर जवानों द्वारा निरपराध ग्रामीणों को जब-तब पकड़ लिया जाता है, जिससे आतंकित ग्रामीण घर छोड़ने को विवश हो गये हैं। इसका असर एक ओर जहां इलाके की अर्थव्यवस्था पर हो रहा है, वहीं आदिवासियों के पलायन कर जाने...

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