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पशुपालन विभाग में डाक्टरों का टोटा

बदायूं। पशुपालन विभाग में कर्मचारियों का टोटा पड़ गया है। चिकित्सकों के 30 पदों में से 11 पद रिक्त हैं और 50 पशुधन प्रसार अधिकारियों में से सिर्फ 13 ही कार्यरत हैं। डाक्टर और स्टाफ के कमी के कारण विभाग की व्यवस्थाएं चरमरा गई है। मुठं्ठी भर कर्मचारी जिले के लगभग दस लाख पशुओं के स्वास्थ्य सम्बंधित जिम्मेदारियों को नही उठा पा रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों का मुख्य कार्य कृषि...

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सहकारी सभाओं पर पंजाब माडल अपनाएगा पूरा देश- तेजिंदर सिंह सहगल

देश के कई राज्य जल्द ही मल्टीपर्पस (बहुद्देश्यीय) सहकारी सभाओं के मामले में पंजाब के तर्ज पर काम करते नजर आएंगे। देश की सहकारी संस्थाओं के प्रमुख प्रतिनिधियों व केंद्र सरकार के सहकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी पिछले सप्ताह अपने पंजाब दौरे के दौरान यहां प्राइमरी कृषि सहकारी सभाओं को मल्टीपर्पस सहकारी सभाओं के रूप में बदले माडल से काफी प्रभावित हुए। उल्लेखनीय है कि पंजाब ने अपनी सहकारी सभाओं को अधिक उपयोगी बनाने...

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किसानों को प्रशिक्षित करने पर होगा 100 करोड़ व्यय

पटना राज्य में कृषि स्नातकों व वेटनेरी डाक्टर बेरोजगार नहीं रहेंगे। कृषि मंत्रालय ने कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) के कार्यक्रमों पर होने वाले व्यय का 90 प्रतिशत वित्तीय भार वहन करने की सहमति प्रदान की है। इसके तहत पंचायत स्तर पर दो कृषि वैज्ञानिक, प्रखण्ड स्तर पर तकनीकी प्रबंधक, राज्य स्तर पर एक परियेाजना निदेशक व दो उपनिदेशकों की नियुक्ति होगी। इसके लिए केन्द्र से राशि मिलेगी। कृषि विभाग के अनुसार आत्मा की योजना...

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किसानों को प्रशिक्षित करने पर होगा 100 करोड़ व्यय

पटना राज्य में कृषि स्नातकों व वेटनेरी डाक्टर बेरोजगार नहीं रहेंगे। कृषि मंत्रालय ने कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण (आत्मा) के कार्यक्रमों पर होने वाले व्यय का 90 प्रतिशत वित्तीय भार वहन करने की सहमति प्रदान की है। इसके तहत पंचायत स्तर पर दो कृषि वैज्ञानिक, प्रखण्ड स्तर पर तकनीकी प्रबंधक, राज्य स्तर पर एक परियेाजना निदेशक व दो उपनिदेशकों की नियुक्ति होगी। इसके लिए केन्द्र से राशि मिलेगी। कृषि विभाग के अनुसार आत्मा की योजना...

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किसानों की आत्महत्याः एक 12 साल लंबी दारूण कथा

   कुछ लोगों के लिए किसानी मुनाफे का धंधा हो सकती है, लेकिन देश की बहुसंख्यक आबादी के लिए यह घाटे का सौदा बना दी गई है. न सिर्फ घाटे का सौदा, बल्कि मौत का सौदा भी. और यह सिर्फ इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि खेती से महज कुछ लोगों का मुनाफा सुनिश्चित रहे. यही वजह है कि खेतिहरों के कर्जे की माफी का फायदा भी आम खेतिहरों को नहीं मिला बल्कि बड़े किसानों को...

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