केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार के दस साल के कार्यकाल के बाद अब एक ऐसी नई सरकार की उम्मीद लोग लगा रहे हैं, जो केवल देखने में ही मौजूदा गठबंधन से अलग नहीं होगी, बल्कि कामकाज के तरीके के मामले में भी अलग होगी। ऐसे में सत्ता पर काबिज होने की उम्मीद रखने वाले बड़े दल महंगाई को काबू में लाने और विकास की गति को तेज करने के...
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'लिकेज रोकने में पंचायतों की हो सकती है अहम भूमिका' - डा. हरिश्वर दयाल
अर्थशास्त्री व श्रमिक अर्थव्यवस्था के जानकार डॉ हरिश्वर दयाल गांव के लिये शुरू किये गये कार्यक्रमों-योजनाओं के समुचित लाभ नहीं मिलने के लिए लिकेज को जिम्मेवार मानते हैं. उनका मानना है कि इसे दुरुस्त कर इसके लाभ को और प्रभावशाली बना सकते हैं. नौकरशाही की अस्थिरता को भी विकास के लिए नुकसानदायक मानते हैं. वे मानते हैं कि सामाजिक योजनाओं ने गांव के लोगों को आवाज दी है और जिसकी...
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अर्थशास्त्री व श्रमिक अर्थव्यवस्था के जानकार डॉ हरिश्वर दयाल गांव के लिये शुरू किये गये कार्यक्रमों-योजनाओं के समुचित लाभ नहीं मिलने के लिए लिकेज को जिम्मेवार मानते हैं. उनका मानना है कि इसे दुरुस्त कर इसके लाभ को और प्रभावशाली बना सकते हैं. नौकरशाही की अस्थिरता को भी विकास के लिए नुकसानदायक मानते हैं. वे मानते हैं कि सामाजिक योजनाओं ने गांव के लोगों को आवाज दी है और जिसकी आवाज जितनी तेज होगी, उसे उतना पहले हक...
More »मध्य वर्ग का बहुत कुछ दांव पर- लीला फर्नांडिज
भारत का मध्यवर्ग लोकसभा चुनाव के केंद्र में है। नरेंद्र मोदी और भाजपा ने ‘नव मध्यवर्ग’ के तौर पर एक नई राजनीतिक पहचान देकर सुनियोजित ढंग से शहरी मध्यवर्ग को लुभाने की कोशिश की है। इस नई पहचान ने मध्यवर्ग की आकांक्षाओं को नए पंख दिए हैं। कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार से मध्यवर्ग को मिली मायूसी के कारण भाजपा की यह रणनीति काम करती दिख रही है। असमान आर्थिक विकास, बढ़ती...
More »गांव मात्र वोटों से ज्यादा कुछ नहीं है- अनिल जोशी
जिस देश का अस्तित्व उसके गांवों से हो, वही नकारे जाएं, तो इससे बड़ी विडंबना कुछ नहीं हो सकती। देश में 8,800 शहर और 22,000 कस्बों की तुलना में साढ़े छह लाख गांव संख्या में कहीं ज्यादा हैं। देश की करीब 70 प्रतिशत आबादी आज भी गांवों में बसती है, और यह बड़ी संख्या ही इस देश की राजनीतिक दिशा तय करती है। राज्यों के मुख्यमंत्री व देश के प्रधानमंत्री इन्हीं...
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