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कोरोना वायरस: लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था को हो सकता है नौ लाख करोड़ रुपये का नुकसान

-द वायर,  विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश भर में की गयी बंदी (लॉकडाउन) से अर्थव्यवस्था को 120 अरब डॉलर (करीब नौ लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हो सकता है. यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के चार प्रतिशत के बराबर है. उन्होंने राहत पैकेज की जरूरत पर जोर देते हुए बुधवार को आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में भी कटौती की. उन्होंने कहा...

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ग्रामीणों के लिए दोहरी मार साबित होगी कोरोना महामारी

-डाउन टू अर्थ, कोरोनावायरस (कोविड-19) बीमारी की वजह से हमारे समाज की असमानता सामने नहीं आई है। मुक्त बाजार काल में इसे अस्तित्व के खतरे के तौर पर पहले ही स्वीकार किया जा चुका है। कोरोनावायरस की वजह से यह जरूर स्पष्ट हुआ है कि आर्थिक रूप से हाशिए पर खड़े लोगों को स्वास्थ्य आपातकाल का सामना कैसे करना पड़ेगा। उदाहरण के लिए, अगर हम अमेरिका की बात करें तो कई...

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किसान बढ़े तो अर्थव्यवस्‍था उबरे

-आउटलुक, “मंदी के दुश्चक्र से, देश की अर्थव्यवस्‍था किसान की हालत सुधरने से ही निकलेगी, लेकिन खेती-किसानी की आय में इजाफे के लिए सरकारी बैसाखी नाकाफी, किसानों की संगठित पहल जरूरी” हाल में आए देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के ताजा आंकड़ों के मुताबिक चालू साल की तीसरी तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर 4.7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है, जो सात साल में सबसे...

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सामाजिक असमानताओं के कुचक्र में फंसा 'डिजीटल इंडिया' का सपना

सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MoSPI) की एक हालिया रिपोर्ट डिजिटल डिवाइड और भारत के कैशलेस अर्थव्यवस्था बनने के विरोधाभास को उजागर करती है. नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) की ‘भारत में शिक्षा पर घरेलू सामाजिक उपभोग के प्रमुख संकेतक, जुलाई 2017 से जून 2018' नामक रिपोर्ट में कंप्यूटर और इंटरनेट की उपयोगिता के मामले में ग्रामीण-शहरी विभाजन काफी स्पष्ट दिखता है. शिक्षा पर 75वें दौर के नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस) की...

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क्या मनरेगा बजट डूबती ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए काफी है?

वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी, 2020 को प्रस्तुत केंद्रीय बजट 2020-21, सामाजिक कार्यकर्ताओं और किसान समूहों (यहां और यहां क्लिक करें) को प्रभावित करने में विफल रहा हैं. अपनी प्रेस नोटों के माध्यम से, इन सगंठनों के सदस्य विशेष रूप से महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) और प्रधानमंत्री किसान विकास योजना (PM-KISAN)और ग्रामीण और कृषि क्षेत्र के लिए बजटीय आवंटन में बढ़ोतरी करने के लिए केंद्र सरकार से लगातार मांग कर...

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