अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स में आयोजित विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की ग्यारहवीं मंत्रिस्तरीय बैठक बिना किसी नतीजे के समाप्त हो गई। इसमें हिस्सा ले रहे देश खाद्य व कृषि सबसिडी को लेकर आम राय नहीं बना सके। क्योंकि अमेरिका व अन्य विकसित देश बहुपक्षीय व्यापार संस्था के सदस्यों द्वारा सार्वजनिक खाद्य भंडारण के मसले का स्थायी समाधान खोजने की अपनी प्रतिबद्धता से मुकर गए। भारत और उसके साथ खड़े डब्ल्यूटीओ...
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अंतहीन कृषि संकट से कैसे उबरें-- देविन्दर शर्मा
देश का 'अन्न का कटोरा' कहा जाने वाला पंजाब कई विरोधाभासों का सामना कर रहा है। जबसे हरित क्रांति की शुरुआत हुई, पंजाब ने साल दर साल रिकॉर्ड स्तर पर अतिरिक्त अनाज का उत्पादन किया, फिर भी यह वर्षों से किसान आत्महत्या के कारण कब्रगाह में तब्दील हो गया है। शायद ही कोई दिन ऐसा जाता होगा, जब पंजाब के अखबारों में किसान आत्महत्या की खबर न छपती हो। पंजाब राष्ट्रीय...
More »बुनियादी ढांचा सुधरने से थमेंगी कीमतें-- रमेश कुमार दुबे
बंपर उत्पादन और तमाम सरकारी उपायों के बावजूद महंगाई दर में बढ़ोतरी से साबित होता है कि वितरण के मोर्चे पर अभी बहुत कुछ करना है। पिछले साढ़े तीन वर्षों में मोदी सरकार ने ग्रामीण सड़कों, सिंचाई, फसल बीमा और बिजली आपूर्ति के क्षेत्र में अहम सुधार किया है लेकिन भंडारण-विपणन ढांचे में सुधार अभी भी दूर की कौड़ी बना हुआ है। यही कारण है कि कुछ महीने पहले तक...
More »पढ़िए, पंजाब और हरियाणा में कितनी जलती है पिराली, क्या हैप्पी सीडर है इसका समाधान ?
हरियाणा और पंजाब में कितने हैप्पी सीडर हैं ? धूल और धुएं से भरे घने कोहरे में लिपटी दिल्ली को गैसचैंबर करार दिए जाने के बीच कृषि मंत्रालय द्वारा जारी एक हिदायत के मद्देनजर यह सवाल पूछा जा सकता है. हैप्पी सी़डर को पिराली की जलाने की समस्या की जादुई समाधान भी बताया जा रहा है. बीते 10 नवंबर को जारी कृषि मंत्रालय की हिदायत में हैप्पी सीडर का जिक्र आया है. कृषि मंत्रालय ने पश्चिमी...
More »सस्ते आयात से दुश्चक्र में किसान-- रमेश कुमार दूबे
हाल ही में जारी अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति शोध संस्थान (आइएफपीआरआइ) के वैश्विक भूख सूचकांक में भारत पिछले साल की तुलना में तीन पायदान नीचे लुढ़क कर सौवें स्थान पर पहुंच गया। रिपोर्ट में इसके लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली और मध्यान्ह भोजन योजना में भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहराया गया है लेकिन यह नहीं बताया गया है कि सस्ते आयात के कारण खेती घाटे का सौदा बनती जा रही है। गौरतलब है...
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