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राजस्व की लूट

-द कारवां, आदित्य बिरला समूह और वेदांता लिमिटेड भारत में उन पहले कारपोरेट दाताओं में से थे जिन्होंने कोविड-19 महामारी राहत के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा बनाए गए और उन्हीं के द्वारा संचालित पीएम केयर्स फंड में भारी भरकम राशि दान दी थी. यह फंड मार्च 2020 में बनाया गया था और इसके बनने के पहले सप्ताह के भीतर ही आदित्य बिरला समूह ने 400 करोड़ रुपए तथा वेदांता ने...

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आईईए रिपोर्ट की चेतावनी, जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए स्वच्छ ऊर्जा निवेश करने में दुनिया बहुत पीछे

-न्यूजक्लिक, IEA (इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी) ने 13 अक्टूबर को प्रकाशित अपने 'वर्ल्ड एनर्जी आउटलुक' 2021 में स्कॉटलैंड के ग्लासगो में इस महीने के अंत में होने वाली संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) की बैठक से पहले एक चेतावनी संदेश प्रकाशित किया है। इसमें कहा गया है कि वैश्विक उत्सर्जन को शुद्ध-शून्य स्तर प्राप्त करने के लिए निरंतर गिरावट में डालने के लिए दुनिया बहुत पीछे है। आईईए ने अपनी रिपोर्ट में...

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क्या हम भारतीय कृषि क्षेत्र में घटती किसानी आमदन के साक्षी हैं?

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के 77वें दौर के सर्वेक्षण पर आधारित 'ग्रामीण भारत में परिवारों की स्थिति का आकलन और परिवारों की भूमि जोत, 2019', हाल ही में जारी स्थिति आकलन सर्वेक्षण इस तथ्य को स्थापित करता है कि किसान परिवार अपनी आजीविका के लिए 'खेती-बाड़ी से शुद्ध आय' के बजाय मजदूरी पर अधिक से अधिक निर्भर हैं. मार्क्सवादी शब्दावली में, सर्वहाराकरण (एक शब्द जिसे हम निर्वासन के लिए शिथिल रूप से उपयोग कर सकते हैं) उस प्रक्रिया...

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भारत में कोविड की पहली लहर की तुलना में दूसरी में गर्भपात तीन गुना बढ़ा, ICMR शोध ने डेल्टा वैरिएंट को बताया वजह

-द प्रिंट, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की तरफ से मुंबई में किया गया एक छोटा-सा अध्ययन बताता है कि भारत में दूसरी कोविड लहर के दौरान गर्भपात तीन गुना बढ़ गया है, और गर्भस्थ शिशुओं की मौत का एक बड़ा कारण कोरोनावायरस का डेल्टा वैरिएंट हो सकता है. अध्ययन में गर्भपात के लिए ‘सहज गर्भपात शब्द का उपयोग किया गया है, जिसका मतलब है गर्भधारण के 20 सप्ताह से पहले गर्भपात...

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हिंदी में रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकारों के लिए फ़ेलोशिप

पत्रकार की ज़िम्मेदारी है कि वह समाज में हो रहे बदलावों और उथल-पुथल पर बारीक नज़र रखें. घटनाओं की रिपोर्टिंग करने के साथ-साथ उसकी तह तक पहुंचे. तहकीक़ात करें. जनता के मुद्दों और समावेशी लोकतंत्र के ज़रूरी विषयों को टटोलें. नागरिक अधिकार, मानवाधिकार और मौलिक अधिकार जैसे सवालों पर चौकस रहे. सरकार की नाकामियों को शिद्दत के साथ उजागर करें. सवाल करें. स्वास्थ्य, खेती-किसानी और राजनीति से लेकर पर्यावरण के...

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