SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 212

शिशु और मातृ-मृत्यु दर की चिंता- अंजलि सिन्हा

आम चुनाव की आपाधापी के दौरान रांची के पास नामकुम की चंद्रमुनि (25 वर्ष) की इलाज के अभाव में हुई मौत सुर्खियां नहीं बन सकीं. विडंबना है कि चंद्रमुनि खुद राज्य में सहिया अर्थात् गर्भवती महिलाओं के लिए अक्रेडिटेड सोशल हेल्थ एक्टिविस्ट थीं, जिसने 15-20 महिलाओं की स्वास्थ्य प्रसूति में सहायता प्रदान की थी. चंद्रमुनि ने एक स्वस्थ्य बच्ची को जन्म दिया था, पर उसके बाद उसकी तबीयत लगातार बिगड़ती...

More »

नयी सरकार के सामने गांव के पुराने मुद्दे- पंचायतनामा डेस्क

16 मई को देश में लोकसभा चुनाव का परिणाम आ गया है. देश को भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार मिलने जा रही है. भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने चुनाव अभियान के दौरान अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों पर राजनीतिक हमले के साथ विकास के मुद्दे को फोकस किया. उन्होंने कृषि, ग्रामीण रोजगार, शौचालय जैसे अहम मुद्दों की चर्चा प्रचार अभियान के दौरान की. हम अपनी आमुख कथा में गांव-पंचायत...

More »

नवजात के लिए तरल सोना है दिव्या मदर मिल्क बैंक का दूध- पंचायतनामा डेस्क

उत्तर भारत का पहला मानव दूध बैंक राजस्थान के उदयपुर के आरएनटी मेडिकल कॉलेज के सरकारी अस्पताल पन्नाधाई राजकीय महिला चिकित्सालय में चल रहा है. इस दूध बैंक की शुरुआत अप्रैल 2013 में की गयी. यहां आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित एक छोटे से क्लिनिक में मानव स्तन के दूध का बैंक प्रारंभ किया गया है. इसे विशेषज्ञ तरल सोना कहते हैं. यह बैंक आसपास की महिलाओं का एचआइवी और हेपटॉइटिस जैसे कुछ...

More »

गांव प्रयोगशाला नहीं, हमारी सांस्कृतिक जड़ हैं

पटना निवासी बाबुल प्रसाद ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के लिए सतत कार्य करते रहे हैं. बाबुल ने आइआइबीएम पटना से मार्केटिंग में एमबीए की शिक्षा ग्रहण की. इन्होंने ‘यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन’ ‘सिएटल’ से एक साल का फैलोशिप भी किया हुआ है. बाबुल प्रसाद ‘पॉपुलेशन एसोसिएशन ऑफ अमेरिका’ के स्थायी सदस्य और पटना विश्वविद्यालय के ‘रूरल मैनेजमेंट डिपार्टमेंट’ के गेस्ट फैकल्टी भी हैं. वर्तमान में इनका संगठन बिहार- झारखंड के कई जिलों...

More »

'कोख का किराया' मिलेंगे कम से कम सवा दो लाख

नई दिल्ली। सरकारी स्तर पर सरोगेट मदर्स के स्वास्थ्य को लेकर दिशा-निर्देश तो हैं, लेकिन उनके आर्थिक हितों को लेकर कोई नियम नहीं हैं। ऐसे में इनफर्टिलिटी विशेषज्ञ डॉक्टर व वकीलों के एक संगठन ने पहल की है। उन्होंने तय किया कि सरोगेट मदर्स को किसी भी हाल में सवा दो लाख रुपये से कम नहीं मिलेंगे। डॉक्टरों व वकीलों के संगठन इंस्टर (इंडियन सोसाइटी फॉर थर्ड पार्टी असिस्टेड रिप्रोडक्शन) ने...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close