जनसत्ता 22 फरवरी, 2014 : यूपीए सरकार और राजग सरकार और यहां तक कि ‘तीसरे मोर्चे’ की अल्पायु सरकार भी आर्थिक नीतियों के मामले में एक जैसी ही रहीं। आज भी, जब चुनावी विकल्प के रूप में राहुल गांधी और नरेंद्र मोदी का शोरशराबा हो रहा है, आर्थिक नीतियों के स्तर पर शायद ही कोई बुनियादी फर्क हो। सच्चाई तो यह है कि मोदी खुद इस बात पर जोर देते...
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खाद्य सुरक्षा इंतजामों को गेहूं ने दिया झटका- अजीत सिंह
देश की 67 फीसदी आबादी को खाद्य सुरक्षा का कानूनी हक देने की तैयारियों पर गेहूं की सरकारी खरीद में आई गिरावट भारी पड़ सकती है। चालू रबी विपणन सीजन के दौरान गेहूं की सरकारी खरीद पिछले साल के मुकाबले करीब 30 फीसदी कम चल रही है। खाद्य मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक चालू सीजन में जून के अंत तक सरकारी खरीद 260 लाख टन रहने के आसार हैं। मंत्रालय द्वारा प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद...
More »अर्थव्यवस्था के मर्ज की दवा- लार्ड मेघनाद देसाई
वर्ष 2014 में भारत की अर्थव्यवस्था के समक्ष पहली चुनौती महंगाई है. इससे निबटना नयी सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेवारी होगी. पिछले तीन-चार वर्षो से महंगाई की दर बहुत अधिक रही है. महंगाई की समस्या बहुआयामी है. यह अन्य समस्याओं को भी जन्म दे रही है. इससे देश में बहुत बड़ा संकट आया है. अगर सरकार इन चुनौतियों से मुकाबला करने में सक्षम रही, तो भारत की अर्थव्यवस्था उम्मीदों से...
More »खाद्य सब्सिडी का अंकगणित - अमित तिवारी
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के दूसरे कार्यकाल का बड़ा अहम फैसला संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में बड़ा फैसला करते हुए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक को पास कराने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया। कड़ी जद्दोजहद के बाद आखिरकार विधेयक पास भी हो गया। लेकिन इसी के साथ आर्थिक संकट से जूझ रहे राजकोष पर पडऩे वाले...
More »यूपी में किसान वोटों के लिए गर्म हुई सियासत
लखनऊ:लोकसभा चुनावों को नजदीकी आता देख यूपी के सभी राजनीतिक दल किसानों के हितैषी बनने में जुट गए हैं. अपने-अपने तरीके से काग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा), राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) तथा समाजवादी पार्टी (सपा) अब किसानों को एक बड़ा वोटबैंक मानकर उनकी समस्याओं को उठाने लगे हैं. इसीक्रम में कांग्रेस, बसपा, रालोद तथा भाजपा में किसान दिवस मनाने की होड़ लग गई है. इसके लिए इन दलों...
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