अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के झंडे तले देश के कोने-कोने से हज़ारों हज़ार की तादाद में किसान दिल्ली आ डटे थे. एआईकेएससीसी 200 से ज़्यादा किसान-संगठनों का एक समवेत मंच है. ये पहला मौका था जब मीडिया ने सड़क-जाम या फिर कानून-व्यवस्था का मसला कहकर कन्नी नहीं काटी बल्कि किसान-रैली को सही में किसान-रैली कहकर ही लोगों को बताया-दिखाया. दोपहर बाद का सत्र राजनीतिक दलों के लिए...
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ऐसा कर्ज तो किसान को डुबोएगा ही-- सोमपाल शास्त्री
शुक्रवार को अपनी मांगों के साथ देश भर के किसान एक बार फिर दिल्ली की सड़कें नापते रहे। बीते कुछ महीनों में यह तीसरा मौका था, जब वे अपनी खेती-किसानी छोड़कर अपने हक के लिए देश की राजधानी में थे। कर्ज माफी और फसलों के उचित दाम के अलावा उनकी एक प्रमुख मांग किसानों के मसले पर संसद का विशेष सत्र बुलाना भी है। इसके लिए उन्होंने देश की सबसे...
More »UPA कार्यकाल के जीडीपी आंकड़ों में संशोधन को लेकर NITI Ayog की भूमिका पर विवाद
नयी दिल्ली : पूर्ववर्ती संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के कार्यकाल के दौरान के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के संशोधित आंकड़ों को जारी करने में नीति आयोग की भूमिका को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. सरकार के ही कुछ लोगों का मानना है कि इस घोषणा से नीति आयोग को अलग रखकर विवाद से बचा जा सकता था. नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार और मुख्य...
More »आपदा या बड़े खतरे की दस्तक-- एस. श्रीनिवासन
चक्रवाती तूफान गाजा बीते 16 नवंबर को तमिलनाडु में नागपट्टिनम और वेदारण्यम के तटीय जिलों से टकराया, और अपने पीछे सात दशकों की सबसे बड़ी तबाही के निशान छोड़ गया। इसे ‘गंभीर चक्रवाती तूफान' माना गया, जिसका अर्थ है कि हवा की गति प्रति घंटे 89 से 118 किलोमीटर थी। इसमें तेज हवा के साथ भारी बारिश भी हुई, जिससे तमिलनाडु के दर्जन भर जिले प्रभावित हुए। इस तूफान...
More »सीबीआई संकट का सच-- शशिशेखर
सुप्रीम कोर्ट ने कभी केंद्रीय जांच ब्यूरो, यानी सीबीआई पर तंज कसा था कि यह पिंजरे में बंद तोता है। क्या पता था कि कोर्ट द्वारा विभूषित इस ‘पिंजरे' में आपसी टकराहटों की आवाजें इतनी मुखर हो जाएंगी कि तमाशे के प्रमुख किरदार खुद तमाशा बन जाएंगे। देश की इस सर्वोच्च जांच एजेंसी के शीर्षस्थ दो अधिकारियों में लड़ाई के बाद का घटनाक्रम खासा दुर्भाग्यपूर्ण है। यह पहला मौका है, जब...
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