तरीके से फैलाई गई है कि माओवादी आदिवासियों के रहनुमा हैं। जल, जंगल और जमीन पर आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। इसी वजह से मेधा पाटकर, अरुंधति राय, स्वामी अग्निवेश जैसे सामाजिक कार्यकर्ता जब-तब माओवादियों के पक्ष में खड़े हो जाते हैं। लेकिन यह भ्रम है। यह इत्तिफाक है कि अपने देश का जो वनक्षेत्र है वही जनजातीय क्षेत्र भी है, और माओवादी छापामार युद्ध की अपनी...
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मुफ्त उपहार के वायदे से दूषित होती है चुनाव-प्रक्रिया- उच्चतम न्यायालय
नयी दिल्ली। न्यायमूर्ति पी. सदाशिवम और न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की पीठ ने कहा कि चुनावी घोषणा पत्र चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले प्रकाशित होते हैं, ऐसे में आयोग इसे अपवाद के रूप में आचार संहिता के दायरे में ला सकता है । उच्चतम न्यायालय ने चुनाव आयोग को घोषणा पत्रों के कथ्य के नियमन के लिए दिशा निर्देश तैयार करने का निर्देश देते हुये कहा कि राजनीतिक दलों...
More »राष्ट्रपति ने खाद्य-सुरक्षा पर अध्यादेश को मंजूरी दी
नयी दिल्ली। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने देश की दो-तिहाई जनसंख्या को 1 से 3 रूपये प्रति किलोग्राम की दर पर हर महीने 5 किलोग्राम खाद्यान्न देने वाले खाद्य सुरक्षा विधेयक को लागू करने के लिहाज से लाये गये अध्यादेश पर आज हस्तक्षार कर दिये। राष्ट्रपति सचिवालय ने कल रात अध्यादेश को प्राप्त किया था और मुखर्जी ने आज उस पर मुहर लगा दी। जिसके बाद इस तरह की अटकलें समाप्त हो...
More »फूड बिल पर सस्पेंस बरकरार, राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं
नयी दिल्ली : सरकार ने भोजन अधिकार बिल को लेकर अध्यादेश तो जारी कर दिया है, लेकिन अभी तक इस बिल को लेकर सस्पेंस बरकरार है. पहले यह खबर आयी थी कि अध्यादेश को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन अब ऐसी खबरें आ रही हैं कि चूंकि राष्ट्रपति कानपुर गये हुए हैं इसलिए अध्यादेश को मंजूरी नहीं मिल पायी है. राष्ट्रपति भवन के सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रपति सचिवालय...
More »पहाड़ के दुख के बीच रैम्बोगीरी
जनसत्ता 4 जुलाई, 2013: जोसेफ हैलर के प्रसिद्ध उपन्यास ‘कैच ट्वेंटी टू' में किसी नकली बीमारी का बहाना बना कर खुद को युद्धक्षेत्र भेजे जाने से मुक्त कर चुका बमवर्षक यूनिट का पादरी पाता है कि आह, भरोसेमंद तरीके से सचमुच का झूठ बोल जाना कितना सहज है! छाती ठोंक कर वह कहता है कि दरअसल निर्ममता को देशप्रेम और परउत्पीड़न को न्याय का पर्याय बताने वाले सफेद झूठों को...
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