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'ऐसी बस्ती में कोई कैसे रह सकता है'

भोपाल। ये गैस प्रभावित बस्ती है। इतनी गंदी बस्ती में लोग कैसे रह रहे हैं। न तो इन बस्तियों में साफ-सफाई है, न ही पीने के लिए शुद्ध पानी। यहां के हालात तो बदतर हैं। यह कहना था गैस पीड़ितों के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित मॉनिटरिंग कमेटी के अध्यक्ष और हाईकोर्ट के न्यायाधीश केके लाहोटी का। जैसे ही श्री लाहोटी गैस प्रभावित बस्तियों का जायजा लेने पहुंचे, गैस पीड़ितों ने शिकायतें...

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इस प्रतिबंध के बड़े खतरे- योगेन्द्र यादव

बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर के कार्टून पर मचा हंगामा पिछले हफ्ते भर से एक विडंबना की शक्ल में मेरी सोच से लगातार टकरा रहा है. राष्ट्रीय पाठय़पुस्तकों में शायद पहली बार आंबेडकर को भारतीय गणतंत्र के प्रमुख संस्थापकों के तौर पर दिखाने की कोशिश की गयी थी. लेकिन, संसद में इस कोशिश पर ही इस दलील के साथ हमला बोला गया कि किताब में शामिल एक कार्टून उनका अपमान करता है....

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नगड़ी विवाद : ग्रामीणों की याचिका हाइकोर्ट से खारिज

रांची : हाइकोर्ट में बुधवार को नगड़ी (कांके) में जमीन अधिग्रहण मामले पर सुनवाई हुई. चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति प्रकाश टांटिया व न्यायमूर्ति अपरेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने ग्रामीणों (प्रार्थी) की हस्तक्षेप याचिका को खारिज कर दी. ग्रामीणों की ओर से मामले की पैरवी कर रहे वकील राजीव कुमार ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खुला हुआ है. सामाजिक कार्यकर्ता दयामनी बरला ने भी कहा कि वे लोग सुप्रीम कोर्ट जायेंगे. 17...

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जेपी कंपनी कानून से करती रही खिलवाड़, सीमेंट ग्राइंडिंग यूनिट की लागत छुपाकर सरकार को दिया धोखा

शिमला. थर्मल और सीमेंट प्लांट स्थापित करने के मामले में जेपी कंपनी कानून से खिलवाड़ करती रही। जेपी कंपनी ने थर्मल प्लांट लगाने के लिए ईआईए क्लियरेंस प्राप्त नहीं की थी। फिर भी राज्य सरकार से बघेरी में थर्मल प्लांट लगाने की अनुमति प्राप्त करने में कंपनी सफल रही। इसी तरह से बघेरी सीमेंट ग्राइंडिंग यूनिट की लागत छुपाकर सरकार को धोखा दिया। कंपनी ने प्लांट की लागत छुपाकर सीमेंट प्लांट का...

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हिंसक प्रतिरोध कितना उचित- हर्षमंदर

बहुतेरी संस्कृतियों में अन्याय के प्रतिरोध को सर्वोच्च मानवीय दायित्व का दर्जा दिया गया है। इसी क्रम में एक बहस सदियों से जारी है और आज भी प्रासंगिक बनी हुई है। यह है अत्याचार और अन्याय के प्रतिरोध में हिंसा की वैधता। सवाल यह है कि अगर राज्यसत्ता के कुछ सशक्त प्रतिनिधि अगर अन्यायपूर्ण हो गए हों तो क्या उनके प्रतिरोध के लिए हिंसा उचित है? दूसरे शब्दों में क्या न्याय के...

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