शिक्षा एक ऐसी गतिशील प्रक्रिया है, जिसका निर्मल प्रवाह जीवनदायिनी धारा है। जिस समाज और सभ्यता में शिक्षा के इस महत्त्व को समझ लिया जाता है, उसकी प्रगति की राह के हर प्रकार के अवरोध दूर करने के ज्ञान और कौशल से युक्त व्यक्ति सदा आगे आ जाते हैं। आज शिक्षा की अवश्यकता किसी को भी समझानी नहीं पड़ती है। सरकारी आंकड़े गवाह हैं कि संविधान के निर्देशानुसार चौदह वर्ष...
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सड़क न पगडंडी, कुंआरों को नहीं मिलतीं दुल्हनें-- जीतेन्द्र कुमार झा
जमुई जिले के इस गांव में जब कोई गंभीर रूप से बीमार पड़ जाता है, तो उसे अस्पताल ले जाने में लोगों की सांस अटक जाती है। इलाज के अभाव में कई लोग असमय दम तोड़ देते हैं। यह गांव है जिला मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर दूर पर बसा लठाने नीचली टोला। पीड़ा यह कि गांव तक जाने के लिए पक्की सड़क तो छोड़िये, कच्ची सड़क भी नहीं है।...
More »दरिया में बदल गया एक स्मार्ट सिटी-- पंकज चतुर्वेदी
चौबीस घंटे में ही 23 सेंटीमीटर वर्षा हुई और एक स्मार्ट सिटी दरिया में तब्दील हो गया। बेशक भोपाल में हुई यह बारिश सामान्य नहीं थी, लेकिन भोपाल का जो हाल हुआ, वह भी उम्मीदों के परे था। इस बारिश से हुए नुकसान का आकलन अभी जारी है। इतनी बारिश में शायद देश के किसी बड़े शहर का यही हाल होता, पर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल का यह हाल हैरत...
More »मनरेगा की मजदूरी -- देर ना हो जाये कहीं देर ना हो जाय !
‘ मजदूरी का भुगतान ना होने और भुगतान में देरी के कारण श्रमिकों के बीच मनरेगा की साख खत्म हो गई है.' मध्यप्रदेश में मनरेगा के क्रियान्वयन की कड़वी सच्चाई बयान करने वाला यह वाक्य ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा गठित कॉमन रिव्यू मिशन(सीआरएम) की हाल ही में जारी एक समीक्षा रिपोर्ट का है.( रिपोर्ट के लिए यहां क्लिक करें) मनरेगा के असरदार क्रियान्वयन में फंड की कमी को बड़ी बाधा बताते हुए...
More »सरकारी पोटली खुलते ही बढ़ने लगा दलहन का रकबा
सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली दलहन फसलों के लिए सरकार ने समर्थन मूल्य की पोटली खोली तो किसानों ने भी दिल खोलकर दालों की खेती करनी शुरू कर दी है। खरीफ बुवाई का ताजा आंकड़ा तो कुछ यही बयां कर रहा है। किसानों का कहना है कि दलहन की आपूर्ति बढ़ाने के लिए सरकार घरेलू किसानों पर भरोसा करे तो उसे विलायती दाल मंगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। दलहन फसलों की...
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