मैंने आप्रवासन (इमीग्रेशन) पर छपी एक खबर देखी, जिसके बाद मैं सोचने पर मजबूर हो गया कि सरकार जो कर रही है क्या उस पर उसने सोचा भी है. ‘द हिंदू' की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘असम और पश्चिमोत्तर भारत के कुछ हिस्सों पर दूरगामी असर डालनेवाला एक कदम उठाते हुए, केंद्रीय गृह मंत्रालय नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन करेगा, जो धार्मिक उत्पीड़न की वजह से पाकिस्तान और बांग्लादेश से भाग...
More »SEARCH RESULT
किराये की कोख बढ़ता कारोबार घपले हजार
पिछले कुछ समय में सरोगेसी का कारोबार तेजी से फैला है। दुनिया भर से जोड़े भारत में कुकुरमुत्ते की तरह उगते आईवीएफ क्लिनिक्स में आते हैं, जहां किराये की कोख उपलब्ध होती हैं और वे उन्हीं के जरिये अपने बच्चों को जन्म देते हैं। पर इस कारोबार के लिए न तो कोई कानून है और न ही कोई निगरानी तंत्र, जिसकी वजह से इसमें शोषण भी बहुत होता है। पेश...
More »जनगणना से मिलते संकेत- अरविन्द मोहन
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जिस तरह जनगणना के जातिवार आंकड़ों के बारे में तत्काल सफाई दी और उसे लगभग ठंडे बस्ते में डाल दिया, उसके पीछे बड़ा कारण बिहार विधानसभा का चुनाव था। अब बिहार में जातिवार जनगणना के आंकड़ों की मांग बड़ा चुनावी मुद्दा बन गई है। कई लोग यह भी कहने लगे हैं कि जरूरी नहीं कि जातिवार आंकड़ों की मांग लालू-नीतीश की जोड़ी को फायदा पहुंचाए और...
More »औरतों की दुनिया का सच- क्षमा शर्मा
दुनिया भर में महिलाओं की सुरक्षा के लिए दो अभियान चलाए जा रहे हैं। एक तो है घंटी बजाओ, जिसका अर्थ है कि जिस भी घर से औरतों के रोने, चिल्लाने, पिटने की आवाज आ रही है, उनसे बचकर न निकलें। जाकर फौरन दरवाजे की कॉलबेल या घंटी बजाएं। और ऐसी हिंसा को रोकने के लिए कारगर कदम उठाएं। दूसरा अभियान है, औरतों के प्रति होते अपराध यथा छेड़खानी, पीछा...
More »गांव-घर की निरक्षर महिलाएं पढ़ेंगी ककहरा
पटना: शब्द-शब्द गढ़ना है, हर औरत को पढ़ना है. अनपढ़ बहना लजाती है, जगह-जगह ठगाती है. आंचल में अक्षर की धारा, कर देगी जग को उजियारा. अपने पढ़ी दूल्हा के पतिया, केहू ना जाने पराइवेट बतिया. जी हां, अब ये स्लोगन गांव की अनपढ़ महिलाओं के लिए वरदान साबित होने जा रहे हैं. जीविका व जन शिक्षा की पहल पर गांव घर की निरक्षर महिलाओं को शिक्षित किया जाना है. इसकी...
More »