नई दिल्ली [भारत डोगरा]। वैश्विक स्तर पर बढ़ते जा रहे तापमान के मूल्याकन से आसार नजर आ रहे हैं कि वर्ष 2010 रिकार्ड तोड़ गर्मी का साल साबित हो सकता है। भारत के एक बड़े क्षेत्र के लिए भी यह वर्ष रिकार्ड तोड़ गर्मी का वर्ष बनता जा रहा है। बीच में भीषण गर्मी से भले ही थोड़ी-बहुत राहत मिले, लेकिन कुल मिलाकर प्रवृत्ति बढ़ते तापमान की ओर है। अनेक...
More »SEARCH RESULT
आवश्यक वस्तुओं का आयात 41 प्रतिशत बढ़ा
नई दिल्ली। बढ़ती महंगाई के बीच कई आवश्यक वस्तुओं का आयात बढ़ाना पड़ा। इसकी वजह से बीते वित्त वर्ष 2009-10 में संवेदनशील वस्तुओं का आयात 40.5 फीसदी बढ़कर 65 हजार 564 करोड़ रुपये हो गया। वित्त वर्ष 2008-09 में संवेदनशील वस्तुओं का आयात 46 हजार 667 करोड़ रुपये रहा था। डेयरी उत्पाद, दूध, खाद्यान्न, खाद्य तेल, काफी, चाय और दाल जैसी वस्तुओं को संवेदनशील की श्रेणी में रखा जाता...
More »दाल से टूटता रोटी का नाता
नई दिल्ली [रमेश दुबे]। दलहनों की पैदावार बढ़ाने के लिए लगभग दो दर्जन योजनाओं की असफलता के बाद केंद्र सरकार ने सीधे किसानों को ज्यादा कीमत देने की रणनीति अपनाई है। इसके तहत दलहनी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भारी बढ़ोत्तरी की गई है। जहा अरहर के समर्थन मूल्य में सात सौ रुपये की वृद्धि की गई है, वहीं मूंग में 410 रुपये तथा उड़द में 380 रुपये की...
More »जैव विविधता संरक्षण को अंतरराष्ट्रीय संधि संभव
नई दिल्ली। पर्यावरण और वन राज्य मंत्री जयराम रमेश ने शनिवार को कहा कि जैव विविधता से भरपूर संसाधनों तक पहुंच और उसके दोहन के लाभ में स्थानीय समुदाय की हिस्सेदारी सुनिश्चित कराने के उद्देश्य से दुनिया के 193 देशों के बीच आगामी अक्टूबर तक अंतरराष्ट्रीय संधि के आकार लेने की संभावना है। रमेश ने यहां अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस के मौके पर हुए समारोह में कहा कि जापान के नागोया में अक्टूबर मध्य...
More »बड़ी तबाही ला सकता है जरा सा बदलाव
लंदन। पर्यावरण में 'छोटा' सा परिवर्तन भी ज्वालामुखी विस्फोट, भूकंप व भूस्खलन जैसी भूगर्भीय घटनाओं को और 'भयानक' बना सकता है। वैज्ञानिकों ने सोमवार को इस बाबत चेतावनी जारी की है। रायल सोसाइटी द्वारा प्रकाशित अखबार में शोधकर्ताओं ने चेताया है कि बर्फ पिघलना, समुद्री स्तर बढ़ना और भयानक तूफानों में इजाफे का कारण तापमान में लगातार हो रही बढ़ोतरी है। ये सभी कारक धरती के आवरण पर बुरा असर डाल सकते हैं। यहां तक...
More »