नई दिल्ली। देश की अर्थव्यवस्था के वैश्विक आर्थिक संकट से पूर्व की स्थिति में पहुंचने का जिक्र करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने सोमवार को लोकसभा में वित्त वर्ष 2011-12 के लिए आम बजट पेश करते हुए भाषण की शुरुआत की। अपने शुरुआती भाषण में मुखर्जी ने कहा, 'हम उच्च विकास और चुनौतियों से भरपूर एक महत्वपूर्ण वर्ष के अंत में है। वर्ष 2010-11 में विकास दर अच्छी रही। अर्थव्यवस्था...
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किसानों की हत्या पर मुहर--- देविंदर शर्मा
जीएम फसलें एक बार फिर चर्चा में है. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने अपनी पूर्ववर्ती नीति से पलटी मारकर अब सार्वजनिक रूप से जीएम फसलों को समर्थन देना शुरू कर दिया है. बहस गरमा रही है. यह उसी लाइन पर जा रही है, जिस पर शरद पवार जोर दे रहे है. इसमें हैरत की बात नहीं है. मैं देर-सबेर इसकी उम्मीद कर रहा था. आखिरकार, विकिलीक्स पहले ही खुलासा कर चुका है...
More »ग्रामीण गरीबी रिपोर्ट 2011
जब कभी दुनिया की गरीबी पर कोई रिपोर्ट जारी होती है, तो उसमें दक्षिण एशिया- उसमें भी खासकर भारत सबसे बदहाल दिखता है। हमारे यहां न सिर्फ सबसे ज्यादा संख्या में कम वजन (अंडरवेट) के बच्चे हैं, बल्कि प्रसूति के दौरान माताओं की मृत्यु की दर भी बेहद ऊंची है। भारत में ही सबसे ज्यादा ऐसे बच्चे हैं, जो स्कूल नहीं जाते और विश्व कुपोषण सारणी में भी भारत का...
More »अनाज भंडारण की गहराती समस्या
भारतीय खाद्य निगम अब अनाज को सड़ने से बचाने के लिए विदेशी कम्पनी मोर्गन स्टेनली की मदद लेने जा रहा है। मोटे तौर पर यह कम्पनी भारतीय खाद्य निगम को यह सिखाएगी कि अनाजों की खरीद, ढ़ुलाई और बफर स्टॉक की मात्रा तय करने से लेकर उसके रख-रखाव और वितरण की व्यवस्था को कैसे चुस्त-दुरुस्त रखा जा सकता है। पिछले कुछ सालों से अनाज के उचित भंडारण के अभाव में खुले...
More »खाद्यान्न की जरूरत सरकारी खरीद से ज्यादा
नई दिल्ली। प्रस्तावित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक के तहत देश के कम से कम 75 प्रतिशत आबादी को इसके दायरे में लेने के लिए राष्ट्रीय सलाहकार परिषद [एनएसी] की सिफारिशों को लागू करने हेतु संप्रग सरकार को हर साल करीब 6.2 करोड़ टन खाद्यान्न की आवश्यकता होगी। खाद्यान्नों की आवश्यकता सरकार के द्वारा पिछले वर्ष की गई 5.4 करोड़ टन की खरीद से कहीं अधिक है। हाल में संप्रग अध्यक्ष...
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