-रूरल वॉइस, चालू रबी सीजन में डाइ अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) और कॉम्प्लेक्स उर्वरकों की उपलब्धता के संकट से सबक लेते हुए सरकार ने डीएपी की आपूर्ति को बेहतर करने के लिए देश में इसकी उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी और आयात सौदों की दीर्घकालिक रणनीति तैयार की है। वैश्विक बाजार में डीएपी और कॉम्प्लेक्स उर्वरकों व उनके कच्चे माल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी के बीच चीन ने निर्यात पर प्रतिबंध लगातार...
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जलवायु परिवर्तन है क्या, आसान शब्दों में समझें
-बीबीसी, मानवीय गतिविधियों और क्रिया-कलापों के कारण दुनिया का तापमान बढ़ रहा है और इससे जलवायु में होता जा रहा परिवर्तन अब मानव जीवन के हर पहलू के लिए ख़तरा बन चुका है. अगर इस पर ग़ौर नहीं किया गया और इसे यूं ही छोड़ दिया गया तो आने वाले समय में तापमान इस क़दर बढ़ जाएगा कि मानव जीवन पर संकट आ सकता है, भयावह सूखा पड़ सकता है, समुद्री जल...
More »हीरा ज़रूरी या जंगल: 55,000 करोड़ वाली हीरे की ख़दानों की पड़ताल
-बीबीसी, एक डरावना सा जंगल कैसा होता है, सिर्फ़ किताबों में पढ़ा था और डिस्कवरी चैनल पर ही देखा था. कहानियाँ भी सुनी थीं, उनकी- जिनकी ज़िंदगी में इस जंगल के सिवा कुछ नहीं होता. एक दोपहर सन्नाटे को चीरते हुए उस घने जंगल में सागौन के दरख़्तों से निकलकर थोड़ी रोशनी में पहुँचे तो फटे-पुराने कपड़े पहने हुए एक व्यक्ति को कुछ पत्तियाँ और टहनियाँ बीनते हुए पाया. पता चला वो भगवान दास...
More »कोविड महामारी ने पहले से हाशिये पर पड़े एलजीबीटीक्यूआई+ समुदाय की पीड़ा को और बढ़ाया है
-द वायर, अभिजीत केरल के तिरुवनंतपुरम में बतौर रेडियो जॉकी काम कर रहे थे जब बीते वर्ष मार्च में कोविड-19 महामारी ने भारत में दस्तक दी थी, जिसने सरकार को देशव्यापी लॉकडाउन लगाने के लिए प्रेरित किया था. लॉकडाउन के चलते अभिजीत अपने घर ग्रामीण पत्तनमतिट्टा जिला लौट आए, जहां उनके माता-पिता एक संयुक्त परिवार में दादा-दादी, चाचा और चचेरे भाइयों के साथ रहते हैं. होमोफोबिक रिश्तेदार और चचेरे भाई-बहनों के साथ...
More »महामारी के दौरान हमारी सरकार और पुलिसिया बर्ताव
-न्यूजलॉन्ड्री, किसी बड़ी महामारी के बीत जाने के बाद, उससे जुड़े कुछ दृश्य और घटनाएं लोक-चेतना में स्थाई निवास बुन लेते हैं. कोरोना की दो लहरों के दौरान हुई मीडिया कवरेज में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी, जलती चिताएं, ऑक्सीजन सिलेंडर भरवाने के लिए भागते लोग, स्वास्थ्य व्यवस्थाएं, लोगों के साथ पुलिसिया बर्ताव और सरकारी विज्ञापनों की तस्वीरों और खबरों ने हमारे जेहन में स्थाई जगहें बनाई. भविष्य में जब भी...
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