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एक रुपये का हेरफेर, गरीबी का मजाक नहीं तो और क्या

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। केंद्र सरकार ने रोजाना कमाई में महज एक रुपये बढ़ाकर एक झटके में 17 करोड़ लोगों की गरीबी दूर करने का सेहरा अपने माथे बांध तो लिया है, लेकिन पिछले दो वर्षो में महंगाई की स्थिति को देखते हुए ये आंकड़े आम जनता के साथ क्रूर मजाक सरीखे लगते हैं। सितंबर, 2011 में सरकार ने जब गांव में 26 रुपये रोजाना से ज्यादा कमाई वालों को गरीब मानने के...

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कम वेतन में अधिक काम के बोझ से दबे थे मारुति कर्मी

चंडीगढ़ [जागरण ब्यूरो]। गुड़गांव के मानेसर स्थित मारुति सुजुकी प्लांट में पिछले साल जुलाई में हुई हिंसा प्रबंधन की ही साजिश का हिस्सा थी। मारुति कर्मियों और प्रबंधन के बीच आक्रोश की चिंगारी कई सालों से सुलग रही थी। मारुति कर्मचारियों को कम वेतन देकर उनसे रोबोट की तरह अधिक काम लिया जा रहा था। मारुति वर्कर इस स्थिति पर बार-बार मैनेजमेंट से बातचीत करना चाहते थे, लेकिन उनकी बात...

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बीआरजीएफ के सबूत मिटा रहे घोटालेबाज

आनंद राय, लखनऊ । बसपा सरकार में हुए घोटालों के सबूत मिटाये जा रहे हैं। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) घोटाले से जुड़ी महत्वपूर्ण फाइल गायब होने के बाद अब पिछड़ा क्षेत्रीय अनुदान निधि (बीआरजीएफ) के भी अहम दस्तावेज ढूंढे नहीं मिल रहे हैं। बीआरजीएफ घोटाले की जांच कर रही कोआपरेटिव सेल की एसआइबी इस सिलसिले में जल्द ही कड़ा कदम उठाने जा रही है। क्षेत्रीय असंतुलन दूर करने के लिए...

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मासूम गिरोहों की दिल्ली- प्रियंका दुबे

समाज व व्यवस्था की उदासीनता और वयस्क अपराधियों की सक्रियता की वजह से दिल्ली में बच्चों के कई आपराधिक गिरोह पनप रहे हैं. प्रियंका दुबे की रिपोर्ट. गर्मियों की एक दोपहर. नई दिल्ली रेलवे स्टेशन. नई-दिल्ली-गुवाहाटी राजधानी एक्सप्रेस अपनी यात्रा पूरी कर चुकी है. यात्रियों को प्लेटफॉर्म पर उतारने के बाद खाली हो चुकी ट्रेन धुलाई-सफाई के लिए रेलवे स्टेशन के पीछे बने यार्ड की तरफ बढ़ रही है. अचानक एक कोच...

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सुधारों की दिशा और आम आदमी( पू्र्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के जन्मदिवस पर प्रभात खबर की विशेष प्र?

भारत में आर्थिक सुधारों को लागू किये जाने के 22 वर्ष बाद भी इस पर मंथन का दौर जारी है. पिछले दो दशकों के अनुभव हमें बता रहे हैं कि आर्थिक उदारीकरण के पैरोकारों ने जिस स्वर्णिम भविष्य का हमसे वादा किया था, वह सच्चाई से दूर, छल से भरा हुआ और भ्रामक था. इन वर्षों में आर्थिक उदारीकरण विकास के चमचमाते आंकड़ों पर सवार होकर हम तक जरूर आया,...

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