इस बार भारत में भूमंडलीकरण की पच्चीसवीं दिवाली मनी। परंपरा निष्ठ मेरी यह बात सुनकर थोड़े दु:खी हो जाएंगे। वे पूछ सकते हैं कि 1991 में शुरू हुए भारतीय अर्थव्यवस्था के 25 साल जरूर पूरे हो रहे हैं, लेकिन भारतीय परंपरा से पूरी तरह असंबद्ध राजनीतिक-आर्थिक प्रक्रिया को दिवाली से जोड़ने की क्या तुक है? इसके जवाब में कुछ जोखिम उठाकर मैं यह कहना चाहूंगा कि भूमंडलीकरण की प्रक्रिया ने भारतीय...
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रोशन दिवाली उदास दिया- आर के सिन्हा
एक बार नोबेल पुरस्कार विजेता वीएस नायपाल बता रहे थे कि वे भारत में पहली बार 1961 में दिवाली की रात मुंबई पहुंचे। हवाई अड्डे से होटल के रास्ते में उन्हें यह देख कर निराशा हुई कि यहां ज्यादातर घरों के बाहर मोमबत्तियां सजी थीं। उनके देश त्रिनिदाद एवं टुबैगो में दिवाली पर अब भी मिट्टी के दीए जलाने की रिवाज है। नायपाल ठीक ही कह रहे थे। मोमबत्ती जला...
More »खेती की सुध कब लेगी सरकार- एम के वेणु
उत्तर और पश्चिमी भारत के किसानों को इस वर्ष के प्रारंभ में तब भारी संकट का सामना करना पड़ा था, जब बेमौसम बरसात के कारण उनकी रबी की पकी फसलें खेतों में बर्बाद हो गई थीं। उस भयावह अनुभव के बाद (जिसने दस एकड़ से कम कृषि भूमि वाले छोटे और मंझोले किसानों की आर्थिक हालात को काफी प्रभावित किया था) अब हम पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार के कुछ हिस्से,...
More »टेक्नोलॉजी से सुलझती समस्याएं- प्रीतीश नंदी
आज के तकनीकी विशेषज्ञों की सबसे अच्छी बात यह है कि वे हमारी कुछ सबसे पुरानी समस्याए सुलझा रहे हैं। ऐसी समस्याएं, जो कोई कभी सुलझाना ही नहीं चाहता था, क्योंकि मुनाफा यथास्थिति में ही था, इसलिए कोई नहीं चाहता था कि ये दूर हों। हर कोई इससे पैसे कमा रहा था। फिर तकनीक के विशेषज्ञ आए और उन्होंने सारा खेल बिगाड़ दिया। आइए कुछ उदाहरण देखते हैं : टैक्सी एप...
More »दुनिया के बाजार में बदलावों का दौर - डॉ. भरत झुनझुनवाला
विश्व अर्थव्यवस्था के मंदी में प्रवेश करने के संकेत मिल रहे हैं। चीन ने अपनी मुद्रा युआन का हाल में अवमूल्यन किया है चूंकि उस देश द्वारा बनाए गए माल की विश्व बाजार में बिक्री नहीं हो रही थी। युआन का मूल्य कम होने से अमेरिकी खरीदार के लिए चीन का माल सस्ता पड़ेगा। चीन को आशा है कि उसका माल सस्ता होने से बिक्री बढ़ेगी और वह मंदी से...
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