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पंचतत्व: विकास को संतुलन चाहिए और चैनलों को विज्ञान रिपोर्टर वरना ग्लेशियर ‘टूटते’ रहेंगे!

-जनपथ, इंसान होने के नाते हम सबकी कुछ ज़रूरतें हैं, जिन्हें पूरा किया जाना है. आखिर, उत्तराखंड, हिमाचल और ओडिशा की जनता को भी वही सुख-साधन क्यों नहीं चाहिए जो दिल्ली में रहने वालों को मुहैया हैं? विकास नाम के लुभावने वादे में निचाट गरीबी से निपटने की चुनौती छिपी है और इसमें संसाधनों के अंधाधुंध दोहन का खतरा भी है.  संतुलन साधा जा सकता है, बस नजरिया सही होना चाहिए. न...

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‘रन ऑफ दि रिवर’ जैसी फर्जी तकनीकों से लोगों को बेवकूफ बनाया जा सकता है, हिमालय को नहीं

-द प्रिंट, ‘रन ऑफ दि रिवर’ क्या होता है उससे पहले ये समझ लीजिए कि वास्तव में चमोली में हुआ क्या है? गंगा किसी एक धारा का नाम नहीं है, हिमालय की कई जलधाराएं मिलकर गंगा नदी को बनाती है. इसी तरह की एक छोटी सी धारा का नाम है ऋषिगंगा. थोड़े ऊपर की ओर मौजूद ग्लेशियर से यह धारा निकलती है. इस ग्लेशियर को नंदादेवी ग्लेशियर भी कहते हैं क्योंकि...

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आंदोलन लोरी नहीं है, वह सत्ता को झकझोरने के लिए ही किया जाता है

-द वायर, जो तय नहीं हुआ था, वह नहीं किया जाना चाहिए था. यह एक सामान्य स्वीकृत सिद्धांत है. लेकिन ऐसा अगर नहीं हुआ तो इसके लिए कौन सी परिस्थितियां जिम्मेदार हैं उनके बारे में बात किए बिना किसी घटना को समझा नहीं जा सकता. 26 जनवरी को किसान आंदोलन में शामिल लोगों के एक हिस्से ने तय रास्ते से अलग हटकर ट्रैक्टर जुलूस निकाला और दिल्ली के अलग अलग रास्तों से...

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वित्तीय बाध्यताओं की वजह से बजट में बड़े आयकर राहत की ज्यादा उम्मीद न करें

-द प्रिंट, कृषि कानूनों के खिलाफ और किसान आंदोलन के समर्थन में कांग्रेस सहित प्रमुख विपक्षी दलों ने संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण का बहिष्कार करने का फैसला किया है। बहिष्‍कार करने वाले कुल 16 राजनीतिक दल हैं: कांग्रेस पार्टी, एनसीपी, नेशनल कॉन्‍फ्रेंस, डीएमके, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, समाजवादी पार्टी, राष्‍ट्रीय जनता दल, सीपीआइ, सीपीएम, आरएसपी, पीडीपी, एआइयूडीएफ सहित कई अन्‍य राजनीतिक दल। इन दलों ने एक संयुक्‍त बयान जारी किया...

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नैचुरल गैस को औद्योगिक इस्तेमाल के लिए सस्ता हुआ तो संभव है दूसरी स्वच्छ ईंधन क्रांति : सीएसई

-डाउन टू अर्थ, वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए उद्योगों के जरिए स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल बेहद कारगर रणनीति साबित हो सकती है। हालांकि, दिल्ली-एनसीआर में औद्योगिक ईकाइयों के जरिए बड़े पैमाने पर प्रदूषण के लिए प्रबल तरीके से जिम्मेदार कोयला ईंधन का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे में बजट-2021 में स्वच्छ ईंधन को यदि बढ़ावा दिया जाता है तो वायु प्रदूषण की लड़ाई न सिर्फ दिल्ली-एनसीआर के लिए बल्कि...

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