लखनऊ, 23 अक्तूबर। अखिलेश यादव के लिए उत्तर प्रदेश के भ्रष्ट अफसर चुनौती बने हुए हैं। पुलिस प्रशासन से लेकर सचिवालय तक सत्ता बदलने के सात महीने बाद भी ढर्रा बदला नहीं है। सोमवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने करीब दो दर्जन विभागों के प्रमुख सचिवों को फटकार लगा कर इसकी पुष्टि भी कर दी है। बाद में कई अफसरों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई। दरअसल, बसपा राज में पहले...
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हमारे लोकतंत्र का संकट- शिवदयाल
जनसत्ता 16 अक्टुबर, 2012: दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र, सवा अरब लोगों का। छह-सात प्रतिशत की दर से बढ़ती अर्थव्यवस्था। पर इसकी अधिकांश आबादी को अब तक ‘ट्रिकल डाउन’ यानी अमीरों के उपभोग से रिस कर मिलने वाले लाभ का ही आसरा है। छीजते जाते संसाधन, बिगड़ता जाता पर्यावरण, जलावतनी और विस्थापन, एक-दूसरे को काटती और खारिज करती पहचानें, लगभग एक-तिहाई से भी अधिक भूभाग सैन्यबलों के भरोसे, और इतने पर भी धन...
More »शिक्षा अधिकार का सच- नरेश गोस्वामी
जनसत्ता 7 अगस्त, 2012: मानव संसाधन विकास मंत्रालय से संबद्ध संसदीय समिति की रिपोर्ट बताती है कि शिक्षा अधिकार के कार्यान्वयन के लिए स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग को बजट की निर्धारित राशि का केवल साठ फीसद दिया गया है। इसका मतलब यह है कि शिक्षा अधिकार योजना को इस साल पंद्रह हजार करोड़ रुपयों की कमी पडेÞगी। योजना की जरूरतों और बजटीय आबंटन के इस अंतर को देखते हुए संसदीय समिति ने...
More »पर्यावरण भी हो विकास का मानक- अनिल पी जोशी
हमने विकास का सबसे बड़ा मापदंड सकल घरेलू उत्पाद की दर को माना है। किसी भी देश की प्रगति उसकी जीडीपी के आधार पर तय की जाती है। इसमें उद्योग, सुविधाएं, रियल इस्टेट बिजनेस, सेवाएं आदि मुख्य रूप से आते हैं। सही मायने में खेती को ही जीडीपी या उत्पादन की श्रेणी में आना चाहिए, क्योंकि अन्य उत्पाद हमारी सुविधाओं से जुड़े हैं, न कि आवश्यकताओं से। विकास की मौजूदा अवधारणा...
More »सिर्फ कागजों में पुख्ता है खाद्यान्न भंडारण
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। अनाज भंडारण की कमी और बंपर बर्बादी की आशंकाओं पर चौतरफा आलोचना झेल रहे केंद्र ने अब राज्यों से मदद की गुहार लगाई है। खाद्य मंत्री केवी थॉमस ने राज्यों से एकमुश्त छह महीने का राशन का अनाज उठा लेने का आग्रह किया है। सरकारी बहीखातों में खाद्यान्न भंडारण का प्रबंधन पुख्ता जरूर है, लेकिन जमीनी हकीकत इससे कहीं दूर है। कागजी बंदोबस्त में भी...
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