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कौन है भरी आंखो से कोरोना के भयावह हालात बयां करने वाली ये डॉक्टर?

-आउटलुक, केंद्र सरकार ने एक मई से कोविड-19 टीकाकरण के तीसरे चरण की रणनीति की घोषणा की है। जिसमें 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी लोग टीका लगवा सकते हैं। इस अभियान के तहत सभी के मन में कोरोना वैक्सीन को लेकर कई तरह के सवाल हैं। जिसे लेकर आउटलुक ने मसिना अस्पताल की इन्फेक्शन डिजीज स्पेशलिस्ट, डॉ तृप्ती गियालदा से संपर्क किया है। हालही में आपने इन्हें एक वायरल वीडियो में रोते हुए...

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कोरोना : ‘Restore Earth’ की नकली कोशिशें हमें यह समझने नहीं देती कि ऑक्सीजन लेवल क्या होता है

-द प्रिंट, मुफ्त की एक कीमत होती है जो समय पर ना चुकाई जाए तो उसका ब्याज सांसें चुकाती हैं. इसी तरह प्रकृति शोषण आधारित इमारतों का एक सीटूसी यानी कास्ट टू कंट्री होता जो पीढ़ियों को चुकाना होता है. बानगी देखिए हलांकि नारों में डूबा समाज इस उदाहरण को एक व्हाट्स्एप जोक से ज्यादा अहमियत नहीं देता– सुप्रीम कोर्ट की एक आकलन कमेटी ने एक पेड़ की सालाना कीमत 74,500...

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कोविशिल्ड की कीमतों का रहस्य

-न्यूजक्लिक, केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और अंत में, निजी अस्पतालों से कोविशिल्ड के लिए क्या दाम लिये जाएंगे, इसको लेकर सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआइआइ) की तरफ से एक घोषणा की गई है। इससे बेचैन कर देने वाले कई प्रश्न उत्पन्न हो गये हैं।  एसआइआइ द्वारा जारी स्पष्टीकरण के मुताबिक, वह केंद्र सरकार से वैक्सीन की प्रति खुराक 150 रुपये चार्ज कर रही थी। 1 मई से जब इसके दामों के निर्धारण...

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शंख घोष: हममें से कोई पूर्ण नहीं, सब आंशिक ही हैं…

-द वायर, ‘बंगाल का विवेक आज विदा हो गया.’ लेखक मित्र कुमार राणा ने बिना किसी भावुकता के कहा. शंख घोष के न रहने की खबर सुनकर कुमार को फोन किया था. अभी उनका जाना प्रतीकात्मक ही है. बंगाल में जिस बदलाव की धमक नहीं, धमकी है, उस समय शंख घोष का उससे दूर चले जाना क्या एक सूचना है? कवि को उसके समाज का, जनता का अनिर्वाचित विधायक कहा जाता है. उसकी...

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नई ILO रिपोर्ट: टेक्नोलॉजी आधारित नए डिजिटल श्रम प्लेटफार्म श्रमिकों के अधिकारों की अनदेखी कर रहे हैं!

वेबआधारित और प्लेटफॉर्म श्रमिकों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं हम में से हर एक के जीवन को प्रभावित करती हैं, लेकिन श्रम क्षेत्र को बदलने में डिजिटल श्रम प्लेटफार्मों की भूमिका के बारे में ऐसी जानकारियां बहुत कम है. ऐसे डिजिटल श्रम प्लेटफार्मों ने श्रमिकों, व्यवसायों और समाज के लिए अभूतपूर्व अवसर पैदा किए हैं. हालांकि, ये डिजिटल प्लेटफॉर्म उचित काम और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के लिए गंभीर खतरे भी पैदा...

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