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अब नंगे बदन प्रदर्शन करेंगे बेबस विस्थापित आदिवासी-- अनिल बंसल

दामोदर घाटी बिजली परियोजना के विस्थापित आदिवासी अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और झारखंड की भाजपा सरकार से भी हताश हो चुके हैं। मोदी ने अपनी सरकार को गरीबों के लिए समर्पित सरकार बताया था। पर झारखंड और पश्चिम बंगाल के चार जिलों के 240 गांवों के हजारों विस्थापित आदिवासियों को उन्होंने भी न तो उनकी जमीन का मुआवजा दिलाया और न ही उनके पुनर्वास का वादा ही पूरा किया है।...

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क्या आप डोरिस फ्रांसिस को जानते हैं -- शशिशेखर

‘ईश्वर अपना सबसे कठिन युद्ध अपने सबसे बलवान योद्धा को सौंपते हैं।'   बाइबिल की यह सूक्ति गाजियाबाद की डोरिस फ्रांसिस पर सौ फीसदी खरी उतरती है। शायद आपने उनका नाम न सुना हो। साधारण कुल में जन्मे और जिंदगी भर आर्थिक पैमाने की तली में खडे़ ऐसे लोगों पर अक्सर किसी की नजर नहीं जाती। डोरिस नौ वर्ष की उम्र में अपने भाई और बहन के साथ पंजाब से दिल्ली पहुंची थीं।...

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आरक्षण में दिव्यांगता का एक ही पैमाना गलत : हाई कोर्ट

नई दिल्ली। दिल्ली हाई कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण को लेकर सभी तरह की दिव्यांगता को नापने का एक ही पैमाना गलत है। न्यायमूर्ति एस. रविंदर भट और दीपा शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि देश में 26 लाख से ज्यादा लोग विभिन्न प्रकार की दिव्यांगता का शिकार हैं। हर दिव्यांगता का अलग इलाज है। ऐसे में भारतीय दिव्यांगता मूल्यांकन आकलन के...

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आंकड़ों से बाहर अलक्षित स्त्री-श्रम-- सुजाता

पुरानी बॉलीवुड फिल्मों में मां के किरदार को याद करते हुए अक्सर एक चेहरा निरूपा राय जैसी मां का सामने आता है, जो विधवा है, दुखी है, लेकिन स्वाभिमानी है. पति के न रहने पर वह दिन-रात दूसरों के कपड़े सिल कर अपने बच्चों को बड़ा करती है. अचानक यह एहसास होता है कि दुनिया का सारा कारोबार पुरुष के श्रम पर चलता है और स्त्री इसमें केवल मर्द के...

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जीडीपी बनाम भूख सूचकांक-- धर्मेन्द्रपाल सिंह

ताजा विश्व भूख सूचकांक या ग्लोबल हंगर इंडेक्स (जीएचआइ) के अनुसार भारत की स्थिति अपने पड़ोसी मुल्क नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका और चीन से बदतर है। यह सूचकांक हर साल अंतरराष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आइएफपीआरआइ) जारी करता है, जिससे दुनिया के विभिन्न देशों में भूख और कुपोषण की स्थिति का अंदाजा लगता है। आज केवल इक्कीस देशों में हालात हमसे बुरे हैं। विकासशील देशों की बात जाने दें, हमारे देश...

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