खास बातें- दुनिया में सबसे ज्यादा बड़े बांध बनाने वाले देशों में भारत तीसरे नंबर पर है। यहां अभी 3600 से ज्यादा बड़े बांधे हैं, जबकि 700 से ज्यादा अभी बनने की प्रक्रिया में हैं। भारत में बांधों की वजह से हुए विस्थापन के बारे में अलग अलग-अलग अनुमान हैं। दास और राव (1989) ने दावा किया कि भारत में बांध परियोजनाओं की वजह से दो करोड़ दस लाख लोग विस्थापित हुए। बड़े...
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मणिपुर के बच्चे कहाँ जाएं
मणिपुर में उग्रवाद और उग्रवाद के विरोध में जारी हिसंक गतिविधियों के चलते बीते कई दशकों से बच्चे हिंसा की कीमत चुके रहे हैं. यह सीधे तौर से गोलियों और अप्रत्यक्ष तौर से गरीबी, अशिक्षा, कुपोषण की तरफ धकेले जा रहे हैं. राज्य में स्थितियां तनावपूर्ण होते हुए भी कई बार नियंत्रण में तो बन जाती हैं, मगर स्कूल और स्वास्थ्य सेवाओं जैसे बुनियादी ढ़ांचे कुछ इस तरह से चरमराए हैं...
More »ऐसे हासिल होगी हर घर को बिजली
बिजली सबको हासिल हो- क्या यह बस एक दिवास्वप्न है। क्या जब तक सबको रोटी,कपड़ा,मकान, शिक्षा,स्वास्थ्य और साफ पेयजल जैसी बुनियादी सुविधायें हासिल नहीं हो जातीं तब तक हमें सबके पास बिजली पहुंचाने के सवाल को ठंडे बस्ते में डाल देना चाहिए। भारत में बिजली की सुविधा से वंचित लोगों की तादाद दुनिया में सबसे ज्यादा है। देश में आधे से ज्यादा घरों में बिजली नहीं है यानी दूसरी तरह से कहें तो विश्व...
More »सरकारी योजनाओं में जवाबदेही की कमी
नई दिल्ली। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने सोमवार को कहा कि प्राइवेट एजेंसियों के जरिए लागू होने वाली सरकार की प्रमुख योजनाओं में जवाबदेही के स्तर पर गंभीर कमियां है और यह नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक [कैग] द्वारा प्रस्तावित नए आडिट विधेयक के लिए बड़ी चुनौती है। विधायिका और आडिट को लेकर हुए एक राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन करते हुए मीरा कुमार ने कहा कि पारदर्शिता और जवाबदेही अच्छे शासन के...
More »विद्रोह के केंद्र में दिन और रातें
जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...
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