झाबुआ। झाबुआ के आधा दर्जन गांवों में कुपोषण व बीमारियों से तीन माह में हुई 43 बच्चों की मौत ने झाबुआ से लेकर दिल्ली तक कोहराम मचा दिया है। प्रशासन व प्रदेश सरकार जहां इन मौतों से पल्ला झाड़ एक सिरे से नकार रही है। वहीं यह मामला यूनिसेफ व संयुक्त राष्ट्र संघ में गूंजने से केन्द्र सरकार भी सतर्क हो गई है। यही कारण है कि आनन-फानन में केंद्रीय महिला बाल विकास मंत्री कृष्णा...
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पानी रे पानी..मचा हाहाकार, लाचार सरकार
पिछले दिनों देश की ओर्थक राजधानी मुंबई में पानी चोरी के आरोप में एक महिला को कालिख पोता गया. विगत माह मध्यप्रदेश के उज्जन में एक विचित्र घटना घटी. पानी के लिए गोलीबारी हुई, फिर पानी की पहरेदारी के लिए पुलिस को तैनात कर दिया गया. यह उस देश का हाल है, जहां गंगा समेत कई सदानीरा नदियां सदियों से बहती रही हैं. इधर गरमी ने दस्तक दे दी है. मार्च में ही मई-जून...
More »कैसे कहें, स्कूल चलें हम?
मुजफ्फरपुर [जाटी]। शिक्षा में सुधार संबंधी तमाम प्रयासों के बावजूद उत्तर बिहार ड्राप आउट की समस्या से जूझ रहा है। हजारों बच्चे अब भी स्कूल से बाहर हैं। हैरत की बात यह है कि जिम्मेदार अफसर इसे कबूल तो करते हैं, लेकिन उनके पास इससे निबटने की कोई प्लानिंग नहीं है। मुजफ्फरपुर में सिर्फ ड्राप आउट बच्चों की संख्या 32 हजार है। इस ग्राफ को कम करने के लिए कई...
More »बेरोजगारी निगल गई 350 बरस पुराना गांव
शामली [मुजफ्फरनगर, राजपाल पारवा], मैं हूं गांव कोठड़ा..। एक समय मेरी आबादी 500 के करीब थी। रोजगार के अभाव में दो साल पूर्व मेरा अस्तित्व समाप्त हो गया। शेष रह गया तो सिर्फ 350 वर्षो का इतिहास। ..लेकिन आज भी मेरे बरगद की शीतल छांव में मुसाफिर अपनी थकान मिटाते हैं। सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पीर आज भी मेरे वजूद का गवाह है। अगर नहीं हैं तो यहां के बाशिंदे। मेरठ-करनाल...
More »बचा लें जल, बचा लें जीवन
आज विश्व जल दिवस है। हर साल यह दिन 22 मार्च को स्वच्छ पानी के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाता है। इस बार जल दिवस की विषय-वस्तु है, पेय जल की गुणवत्ता। पानी के महत्व का अहसास प्यास लगने पर ही होता है। पानी का कोई विकल्प नहीं है। इसकी एक-एक बूंद अमृत है। विश्वास करें, अगर अमृत है, तो यही है। अत:...
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