दुनिया के मात्र 62 लोगों के पास विश्व के आधे लोगों की कुल संपत्ति से ज्यादा धन है। जाहिर है कि प्रकारांतर से जितना 62 लोगों के पास है, उतना शेष 350 करोड़ लोगों की कुल संपत्ति भी नहीं है। कहा तो गया था कि यह आर्थिक सुधार है, पर इन 20 सालों में फायदा मिला अमीरों को। तीन जानी-मानी आर्थिक आकलन संस्थाओं ने एक ही निष्कर्ष निकाला है कि...
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उपलब्धियां बेमिसाल, फिर भी बाकी हैं सवाल- राजकुमार सिंह
आज हमारा गणतंत्र 66 साल का हो गया। लंबी गुलामी के बाद संघर्ष से मिली आजादी में गणतंत्र का यह सफर आसान हरगिज नहीं रहा। आजादी के साथ ही आयी विभाजन की विभीषिका से उबर कर भारत ने गणतंत्र की राह सोच-समझ कर ही चुनी थी। फिर भी अगर सफर आसान और परिणाम वांछित नहीं रहे, तो कारण विरासत में मिली जटिलताओं के साथ ही नीति-निर्धारण में दोष का भी...
More »कमाई के कंगूरे और गरीबी का गर्त- धर्मेन्द्र पाल सिंह
स्विट्जरलैंड के बर्फीले नगर दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक की पूर्व संध्या पर ब्रिटेन की संस्था ऑक्सफाम ने एक रिपोर्ट जारी की, जिससे पूरी दुनिया में हंगामा मच गया। ‘एन इकोनॉमी फॉर दी 1%' नामक इस रिपोर्ट में बताया गया है कि आज महज बासठ खरबपतियों की संपत्ति 17.6 खरब डॉलर (1187.64 खरब रुपए) है, जो विश्व की आधी आबादी की दौलत के बराबर है। एक प्रतिशत अमीरों...
More »जलवायु परिवर्तन से सामंजस्य जरूरी- भरत झुनझुनवाला
केन्द्र सरकार ने किसानों के लिये फसल बीमा की नई स्कीम घोषित की है। अनुमान है कि धरती का तापमान बढ़ने के कारण सुनामी, बाढ़, तूफान तथा सूखे जैसे मौसम में उपद्रव बढ़ेंगे। तदनुसार किसानों की समस्यायें बढ़ेंगी। फसल चौपट होने से इन्हें आत्महत्या करने अथवा खेती से पलायन करने को मजबूर होना पड़ेगा। अतः सरकार द्वारा घोषित बीमा योजना सही दिशा में है। हालांकि, कागजी उलझनों के कारण इसके...
More »वंचितों के उत्थान से ही देश का उत्थान-- आकार पटेल
भारतीय जनगणना, 2011 के अनुसार, देश में अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लोगों की संख्या देश की कुल आबादी में 25 प्रतिशत से ज्यादा हो गयी है. इनमें 16.6 प्रतिशत दलित हैं और 8.6 प्रतिशत आदिवासी हैं. ये दो अन्य संज्ञाएं हैं, जिनके द्वारा इन समुदायों (जिन्हें अंगरेज अनटचेबल और ट्राइबल कहा करते थे) को संबोधित किया जाता है. भारत की एक चौथाई आबादी का अर्थ...
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