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जुगाड़ का मोहताज न बने लोकतंत्र - मृणाल पांडे

क्या इसे महज एक संयोग माना जाए कि देश की तकरीबन हर पार्टी और राजनीति में आकंठ निमग्न शीर्ष नेता के कुटुंबों के भीतर और पार्टी के असंतुष्टों के बीच की भीषण तनावमय टूट इन दिनों शर्मनाक झगड़ों में तब्दील हो-होकर चौरस्तों पर बिखर रही है? एक न एक दिन तो यह होना ही था। वजह यह कि गए कई दशकों में जवान होता लोकतंत्र हमारे बीच राजनीति से अर्थनीति...

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आइटी नौकरियां घटने का संकट-- आकार पटेल

अर्थव्यवस्था से जुड़ी कुछ चिंताजनक खबरें आ रही हैं, जिनकी चर्चा व्यापारिक अखबारों तक ही सीमित है. ये समाचार भारत के बड़ी सूचना तकनीक और सॉफ्टवेयर उद्योग की इंफोसिस, टीसीएस और विप्रो जैसी कंपनियों से संबंधित हैं. पिछले दो दशकों से तेजी से बढ़ रही इन संस्थाओं की वृद्धि धीमी पड़ गयी है. अब इन कंपनियों की वार्षिक बढ़ोतरी एकल अंकों में हो रही है और इसके लिए भी...

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गंगोत्री ग्लेशियर का बिगड़ता मिजाज- ममता सिंह

ग्लोबल वार्मिंग के इस दौर में ग्लेशियरों का पिघलना कोई अचरज की बात नहीं रह गई है। हर साल ग्लेशियरों का दायरा सिकुड़ने और समुद्र की सतह कुछ उठ जाने के आंकड़े आते रहते हैं। मगर उससे भी महत्त्वपूर्ण बात अब तक ग्लेशियरों के बचाव की दिशा में कोई महत्त्वपूर्ण कदम नहीं उठाया जाना है। मौजूदा हालात में सर्वाधिक चिंता का विषय यही है। अभी हाल के वाडिया इंस्टीट्यूट...

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परिंदों के संग उड़कर आता बुखार--

तीन साल पहले भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) को सूचित किया था कि उसके यहां बर्ड फ्लू का कोई नया मामला नहीं दिखा है, लिहाजा वह बर्ड फ्लू मुक्त देश है। ऐसी घोषणाओं के लिए डब्ल्यूएचओ की मंजूरी की जरूरत होती हो या नहीं, पर देश की राजधानी दिल्ली में बर्ड फ्लू से हुई दो दर्जन पक्षियों की मौतों ने साबित कर दिया है कि संक्रामक बीमारियों के वायरस...

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लोकतांत्रिक राजशाही का नया दौर - प्रदीप सिंह

लोकतंत्र दुनिया की सर्वोत्तम व्यवस्था नहीं है, लेकिन यह भी सच है कि शासन व्यवस्था का इससे बेहतर कोई विकल्प भी नहीं है। इसलिए यह व्यवस्था अपनी तमाम खामियों के बावजूद ज्यादातर देशों में चल रही है। भारत ने भी आजादी के बाद संसदीय लोकतंत्र के रास्ते पर चलने का फैसला किया। पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री बने। संसदीय जनतंत्र के प्रति पंडित नेहरू की प्रतिबद्धता पर शायद...

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