सफल पेशेवर होने के लिए मेधा तथा ज्ञान के मेल की जरूरत होती है. मगर चिकित्सा, पुलिस और खासकर न्यायपालिका जैसे पेशों हेतु ‘सामाजिक संवेदनशीलता' नामक एक अतिरिक्त अर्हता आवश्यक है. संवेदनशीलता वस्तुतः एक ‘सामाजिक धारणा' है, जिसे कोई व्यक्ति सामाजिक संरचना में उस वर्ग तथा जाति की स्थिति के आधार पर हासिल करता है, जिसके साथ वह रहता आया है. न्यायिक फैसले लेने में इसकी इतनी जरूरत है कि...
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वापस आए पुराने नोटों के आंकड़ों पर असमंजस
नई दिल्ली। नोटबंदी के बाद प्रतिबंधित 500 व 1000 रुपए के कितने नोट और धनराशि बैंकों में वापस आए, यह अभी तक रहस्य बना हुआ है। गैर सरकारी एजेंसियां अपना-अपना आकलन कर रही हैं। बताया जा रहा है कि 95 से 97 फीसद तक प्रतिबंधित नोट वापस आ चुके हैं। यह निश्चित तौर पर सरकार की उम्मीदों से काफी ज्यादा है। लेकिन आश्चर्य की बात है कि अभी तक भारतीय...
More »RBI जल्द जारी करेगा बैंकों-डाकघरों में जमा किए गए पुराने नोटों के आंकड़े
बैंकों, डाकघरों में जमा कराए गए पुराने 500 और 1000 रुपये के नोटों के बारे में अटकलों पर विराम लगाते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह जल्द से जल्द इनके आंकड़े जारी करेगा। आरबीआई ने कहा कि वह बैंकों के पास पहुंचे पुराने नोटों का अमान्य की गई मुद्रा से मिलान कर रहा है और उसके बाद वह जल्द से जल्द आंकड़े जारी कर देगा। रिजर्व...
More »धर्म और जाति पर न हो वोट--- विश्वनाथ सचदेव
‘अभी रुग्ण है तेरे-मेरे जीने का विश्वास रे', इस पंक्ति में कवि ने जीने के विश्वास को परिभाषित करते हुए उन जनतांत्रिक मूल्यों-सिद्धांतों का हवाला दिया था, जिनके आधार पर हमने स्वतंत्रता पाने के बाद एक पंथ-निरपेक्ष, समतावादी राष्ट्र-समाज के निर्माण का संकल्प लिया था. यह त्रासदी ही है कि वैसा समाज, वैसी व्यवस्था आज भी एक सपना ही है. आज भी हमारा देश धर्मों, जातियों, वर्गों में बंटा हुआ...
More »जर्मन अर्थशास्त्री का दावा- भारत में नोटबंदी के पीछे है अमेरिका का हाथ
8 नवंबर को भारत में नोटबंदी का फैसला लागू हुआ था और 500 और 1000 के नोट बंद कर दिए गए थे। लोगों को पैसे बदलवाने के लिए बैंक और एटीएम की लाइनों में लगना पड़ा। लेकिन शायद किसी को यह भनक तक नहीं लगी होगी कि नोटबंदी के इस फैसले के पीछे अमेरिका का हाथ है। एक लेख में जर्मन अर्थशास्त्री नॉर्बर्ट हैरिंग ने यह दावा किया है। उन्होंने कहा...
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