सूखे का संकट रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून। पानी गये न उबरे, मोती मानुष चून॥ हिमांशु ठक्कर वर्षों पूर्व रहीम की वाणी ने जिस संकट के प्रति आगाह किया था, वह आज फिर यथार्थ के रूप में हमारे सामने है. कुछ माह पहले तक सूखे का जो संकट मराठवाड़ा और बुंदेलखंड जैसे कुछ इलाकों तक सीमित था, वह अब देश के दस से ज्यादा राज्यों में फैल चुका है. सूखे और...
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जल संकट के कारण घटा बिजली उत्पादन
नई दिल्ली। औसत से कम बारिश और ज्यादा गर्मी के कारण पानी की कमी का असर न केवल खेती-बाड़ी और आम जन-जीवन पर हो रहा है, बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था इसकी चपेट में आ सकती है। मसलन, इसकी वजह से बिजली उत्पादन घटने लगा है। पानी की कमी के कारण कई थर्मल पावर प्लांट बंद हो गए हैं और कई बंदी की कगार पर हैं। दूसरी तरफ पन बिजली परियोजनाओं पर भी...
More »पीपीपी योजना से बढ़ेगी देश में पेड़ों की खेती
इंदौर, 10 अप्रैल (एजेंसी) देश के वृक्ष आवरण में इजाफे के साथ लकड़ी का आयात घटाने के लिए पर्यावरण और वन मंत्रालय ने पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल के आधार पर महत्वाकांक्षी योजना का खाका तैयार किया है। इस योजना के तहत निजी फर्मों को वन्य क्षेत्रों की बंजर जमीन पर उपयोगी लकड़ी वाले पेड़ों की खेती की अनुमति दी जाएगी। पर्यावरण और वन मंत्री प्रकाश जावडेकर ने रविवार को यहां...
More »आरक्षण की आग में झुलसता समाज- नीरजा चौधरी
कृषक जातियों में बेचैनी तेजी से बढ़ रही है, क्योंकि खेती-किसानी अब मुनाफे का काम नहीं रही। उनके बच्चों के पास तकनीकी तालीम भी नहीं है, जिससे वे नए जमाने की नौकरियां पा सकें। ऐसे में राजनीतिक दांव-पेच उन्हें और अधीर कर रहे हैं। जाति-युद्ध की तरफ बढ़ती आग को रोकने के लिए फौरन कदम उठाए जाने चाहिए। हाल के घटनाक्रमों पर पेश है वरिष्ठ पत्रकार नीरजा चौधरी का विश्लेषण पिछले...
More »कन्हैया नहीं, जॉब की कमी खतरा-- गुरुचरण दास
भारतीय राजनीतिक जीवन अजीब और विडंबनाअों से भरा है। छात्र नेता कन्हैया कुमार को राजद्रोह और राष्ट्र-विरोधी आचरण के आरोप में गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी ने उन्हें हीरो बना दिया। इसे असहमति व्यक्त करने की स्वतंत्रता का प्रतीक माना गया। गृह मंत्री ने गिरफ्तारी का यह गलत तर्क देकर बचाव किया कि असाधारण लोकतांत्रिक देश अमेरिका भी राष्ट्र विरोध को सहन नहीं करता। गिरफ्तारी पर लगातार विरोध ने मीडिया का...
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