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पंचायतों को ई- कनेक्टिविटी की सुविधा अगले दो साल में: सीएम

भोपाल. मप्र में अगले दो वर्षो में सभी ग्राम पंचायतों में ई-कनेक्टिविटी की सुविधा उपलब्ध होगी। मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास मिशन की शुरुआत फरवरी में होगी। मध्याह्न् भोजन की गुणवत्ता और वितरण कार्य में लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह बात मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को मंत्रालय में विभिन्न विभागों की समीक्षा बैठक में कही। इस दौरान उन्होंने ग्रामीण आवास, गृह, जल संसाधन, पीडब्ल्यूडी, वन सहित करीब आठ विभागों...

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सूचना आयुक्त ही दबा रहे हैं जानकारी -- सचिन जैन और रोली शिवहरे

हमने तंत्र और उसे चलाए रखने वाले लोगों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये सूचना के अधिकार कानून की पैरवी की थी, परन्तु जब सरकार इसे लागू करने के लिये जिम्मेदार आयोगों में नौकरशाहों को नियुक्त करने लगती है तब हमें चौकन्ना हो जाना चाहिये. अपने सेवाकाल के करीब तीस सालों या 12775 दिनों में तंत्र के हिस्से के रूप में काम करते हुये जिन लोगों ने उसे गैर जवाबदेह बनाया,...

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कृषि बीमा योजना में सामने आई गड़बड़ी

पटना. राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना में करोड़ों की गड़बड़ी का मामला सामने आया है। यह गड़बड़ी चार जिलों पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर और सीवान में पायी गयी है। इन चार जिलों में खरीफ 2009 में कुल 1 लाख 11 हजार 107 कृषकों को 168.34 करोड़ रुपये के फसल क्षतिपूर्ति दावों का भुगतान किया गया है। जबकि पूरे राज्य में 1 लाख 41 हजार 877 कृषकों को 188.32 करोड़ रुपया के दावे का...

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इंदिरा आवास : राशि करोड़ों, खर्च लाख में

बेतिया (प.च.)। जिले में इंदिरा आवास मद में एक-एक प्रखंड को करोड़ों में राशि आवंटित की गयी है, लेकिन वित्तीय वर्ष 2010-11 के नौ माह बीतने के बावजूद कई प्रखंडों में खर्च लाखों में ही हुए हैं। गरीबी उन्मूलन की दिशा में चलाये जा रहे इस कार्यक्रम को सफलता नहीं मिल सकी है। जिला पदाधिकारी डा. बी. राजेन्दर ने प्रखंड बगहा-एक एवं दो के प्रखंड विकास पदाधिकारी से कम राशि...

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कुपोषण की चपेट में सहरिया जनजाति के नौनिहाल-एएचआरसी

परंत, राजवीर, रामकुमारी,सन्नी- ये नाम घनघोर कुपोषण में दम तोड़ने वाले बच्चों के हैं। 3 साल या फिर इससे भी कम उम्र के सभी बच्चे मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले गांवों में आबाद सहरिया जनजाति के हैं। आशिक, कुलदीप,पवन और मालती जैसे कुछ बच्चे और हैं, ये भी सहरिया जनजाति के ही हैं और कुपोषण की चपेट में इनका भी दम किसी क्षण टूट सकता है।(देखें लिंक संख्या-1) मानवाधिकारों के मोर्चे पर...

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