“छो...छोको भूंजी लोक पतर तुड़ले लागसी भोक....” ( हम लोग गरीब भुंजिया आदिवासी, पत्ता तोड़ते हुए भूख लगती है ) नुआपाडा जिले के सीनापाली गांव में रहने वाली 55 वर्षीय पहनी मांझी को जंगल में तेदूपत्ता तोड़ते हुए जब भूख लगती है तो वो अपना ध्यान बंटाने के लिए यहीं उड़ीया लोकगीत गुनगुनाती हैं. तेंदूपत्ता अप्रैल और मई महीने की चिलचिलाती धूप में जब हम अपने वातानुकुलित कमरे में बैठे आराम फरमा...
More »SEARCH RESULT
राशन पर सरकारी डाका -- प्रशांत कुमार दुबे
सरकार अब राशन में खाद्यान्न की जगह नकद भुगतान करने जा रही है. इसका पायलट फेज दिल्ली की दो बस्तियों में प्रारंभ भी कर दिया गया है. सरकार के इस कदम के बाद यह कहना गलत नहीं होगा कि सरकार अपनी संवैधानिक प्रतिबद्धता को भी समाप्त करने की कोशिश कर रही है. हालांकि सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमजोर करने की साजिश तो वर्ष 1991 के बाद से ही शुरु हो...
More »बरसाती नाले में डूबने से छह स्कूली बच्चों की मौत
बीकानेर। बीकानेर जिले के कोलायत थाना इलाके में नबाना भाटिया गाव के निकट बरसाती नाले में डूबने से मंगलवार को छह स्कूली बच्चों की मौत हो गई। मरने वाले स्कूली बच्चों की उम्र 10 से 13 वर्ष के बीच है और इनमें दो लडकिया शामिल है। कोलायत थानाधिकारी धीरेन्द्र सिंह ने बताया कि हनुमानपुरा की ढाणी में स्थित प्राथमिक स्कूल के बच्चे सुमेर सिंह [10], चुका [13], सुमन...
More »हमारा मिड-डे-मील खा जाते हैं शिक्षक
धनबाद। हमारा एमडीएम शिक्षक खा जाते हैं, विद्यालय में नियमित मध्याह्न् भोजन नहीं बनता है। बनता भी है तो, चावल सड़ा होता है। खाना भी मेनू के अनुरूप नहीं बनता है। एमडीएम का बर्तन शिक्षक अपने घर में प्रयोग करते हंै। कुछ इस तरह की शिकायत बालिका प्राथमिक विद्यालय के बच्चे सोमवार को उपायुक्त कार्यालय घेराव के क्रम में की। अभिभावकों व बच्चों का दल ने सोमवार को उपायुक्त कार्यालय का घेराव...
More »बालश्रम का कलंक- निशिकांत ठाकुर
आजादी के छह दशक बीत जाने के बाद भी जो बातें भारत के लिए शर्म की बड़ी वजह बनी हुईं हैं बालश्रम को अगर उनमें सबसे ऊपर रखा जाए तो गलत नहीं होगा। आज भी हमारे देश में करोड़ों बच्चे खेलने-कूदने और पढ़ने-लिखने की उम्र में खेतों से लेकर होटलों और खतरनाक उद्योगों तक में अत्यंत विकट परिस्थितियों में जीतोड़ मेहनत करने के लिए मजबूर हैं। बेफिक्री की उम्र में ही उनके ऊपर इतनी...
More »