डाउन टू अर्थ, दुनिया भर में ऑनलाइन व्यवसाय तेजी से विकसित हो रहा है। यूएनसीटीएडी द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में यह करीब 25.6 ट्रिलियन डॉलर आंका गया है, जोकि करीब 19,62,80,320 करोड़ रुपए के बराबर है। यह 2017 से करीब 8 फीसदी ज्यादा है| इसके अंतर्गत एक व्यापारी से दूसरे व्यापारी के बीच करीब 16,10,11,200 करोड़ रुपए का व्यापार किया गया। जोकि कुल ऑनलाइन व्यवसाय का करीब 83 फीसदी...
More »SEARCH RESULT
रेड जोन भोपाल में कोरोना पॉजिटिव निकली आशा की सुरक्षा को किया गया नजरअंदाज, अब बढ़ी दस लाख आशा कार्यकर्ताओं की चिंता
-गांव कनेक्शन, उन्नीस अप्रैल को सुबह 11 बजे उसे एक फोन आया कि आपकी रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है। पॉजिटिव रिपोर्ट ... पर मुझे तो सर्दी, खांसी, जुखाम, बुखार कुछ भी तो नहीं है। आपने 17 अप्रैल को जो कोविड-19 की जांच कराई थी उसमें आपकी रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है। आप तैयार रहिये, गाड़ी आपको लेने घर आ रही है। पर मुझे तो कुछ हुआ ही नहीं है ... नसरीन (बदला हुआ नाम) के इतना...
More »लॉकउाडन के दौरान त्रिपुरा में रबर उद्योग को 250 करोड़ रुपये का नुकसान
-आउटलुक, कोरोना वायरस से बचाव के लिए देशभर में चल रहे लॉकडाउन की वजह से पिछले दो-ढ़ाई महीनों में त्रिपुरा में प्राकृतिक रबर उद्योग को करीब 250 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। राज्य के मुख्यमंत्री विप्लब कुमार देब ने कहा कि देशभर में लॉकडाउन का असर राज्य के रबर क्षेत्र पर पड़ा है। केरल के बाद त्रिपुरा भारत में दूसरा सबसे बड़ा रबर उत्पादक राज्य है, जिसमें 85,038 हेक्टेयर भूमि में...
More »हरियाणा: लॉकडाउन की भारी क़ीमत चुका रहे नूंह के ये ग़रीब परिवार
द वायर, देशव्यापी लॉकडाउन की अवधि 19 दिनों तक बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री ने गरीबों को हो रही तकलीफों पर खेद जताया था. समाज का मिडिल क्लास तमाम चुनौतियों को झेलने के बावजूद भी इसे जरूरी क़दम बता रहा है. यह मिडिल क्लास उन तकलीफों को नहीं समझ रहा, जिससे बेघर मजदूर और गरीब लोग गुजर रहे हैं. ये लोग भूख से उपजी तड़प को नहीं समझते. देश का हर वंचित तबका इस...
More »जोखिम में निवेश
-जनसत्ता, देश की शीर्ष दस म्युचुअल फंड कंपनियों में से एक फ्रैंकलिन टेंपलटन ने निश्चित आय वाली अपनी छह डेट योजनाओं को जिस तरह से बंद किया है, उससे निवेशकों की बेचैनी बढ़ना स्वाभाविक है। फ्रैंकलिन टेंपलटन के इस फैसले से यह बात साफ हो गई है कि कोरोना संकट का असर अर्थव्यवस्था में सिर्फ सीमित दायरे में नहीं, बल्कि व्यापक स्तर पर है और बड़ी-बड़ी कंपनियों के हाथ-पैर फूले पड़े...
More »