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कोसी की तबाही, सरकार की लापारवाही

पटना। बिहार के प्रधान महालेखाकार [पीएजी] ने 2008 में कोसी नदी के तटबंध टूटने के लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराया है। तटबंधों के टूटने से आई बाढ़ ने लाखों लोगों को बेघर कर दिया था और कई लोग मारे गए थे। आधिकारिक सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि पीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि बिहार के जल संसाधन विभाग ने संरक्षण कार्य में तत्परता में कमी दिखाई, जिसके कारण 2008 में...

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गरीबों की झोपडि़यों में सीएफएल की रोशनी

पटना गरीबों की झोपड़ियां अब कम्प्रेस्ड फ्लोसेंट लैंप (सीएफएल) से जगमगायेंगी। केंद्र की ग्रामीण विद्युतीकरण योजना के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन बसर करने वाले (बीपीएल) प्रत्येक परिवार के घर में सीएफल लगाये जायेंगे। बिहार राज्य विद्युत बोर्ड को आठ जिलों का विद्युतीकरण करना है। इसमें बेगूसराय, कटिहार, सुपौल, समस्तीपुर, शेखपुरा, मधेपुरा, खगड़िया, सहरसा आदि शामिल हैं। आठों जिलों के छह लाख दो हजार 564 बीपीएल परिवारों के यहां बिजली का कनेक्शन देना है। केन्द्र सरकार...

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विकास से चूके तो और विनाशक होंगे नक्सली

नई दिल्ली, राजकिशोर। नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास की धीमी गति से केंद्र असंतुष्ट है। केंद्र सरकार ने राज्यों से आपरेशन के साथ-साथ युद्धस्तर पर ही बुनियादी ढांचे से लेकर लोगों को रोजगार से जोड़ने वाली योजनाएं पूरी करने को कहा है। गृह मंत्रालय ने साफ कहा है कि हमेशा संगीनों के साये में विकास कार्य नहीं हो सकते, लिहाजा इसमें तेजी लाकर सीधे लोगों से जुड़कर उनके दिल में जगह बनाएं। राज्यों को चेतावनी दी...

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सम्पूर्ण स्वच्छता व लोहिया स्वच्छता अभियान लक्ष्य से दूर

नालंदा यदि जिले में चलायी जा रही स्वच्छता अभियानों की गति यही रही तो वर्ष 2012 तक सभी घरों में शौचालय की सुविधा उपलब्ध कराना नामुमकिन होगा। खुले में शौच को रोकने के लिए सालभर पहले मुख्यमंत्री ने राजगीर से जिस तामझाम के साथ लोहिया स्वच्छता योजना की शुरूआत की थी, उसका भी यहां हश्र अच्छा नहीं दिख रहा है। कहीं-कहीं जागरूकता के अभाव में लोग खुले में शौच की प्रवृत्ति को नहीं त्याग रहे...

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ये बेहाल सूरतें लेकिन गहरी नींद में है समाज

छपरा [कृष्णकांत]। 'खिलौना जान कर तुम तो मेरा दिल तोड़ जाते हो..।' बहुत दुश्मन दौर के गहरे धंसी टीस का बेतरतीब बयान है यह गीत- फिल्म 'खिलौना' का। गाना मशहूर अभिनेता स्व. संजीव कुमार पर फिल्माया गया था-जो अब रीयल लाइफ में भी कई ऐसे लोगों पर घट रहा है, जिनकी रातें बेचैनियों में कटीं। वे सुखिया नहीं है कि खाते और सोते। दुखिया है इसलिए कि जाग गये, जान गये। अब रो-रो कर असहज...

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