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महंगाई की आग- परंजय गुहाठाकुरता

महंगाई की समस्या आज विकराल होती जा रही है, तो इसके लिए सरकार और उसकी नीतियां ही जिम्मेदार हैं। हमारे अर्थशास्त्री प्रधानमंत्री का लोहा दुनिया मानती है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा तक कह चुके हैं कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को मंदी से बाहर निकालने में मनमोहन सिंह की आर्थिक नीतियां मददगार साबित हो सकती हैं। लेकिन विडंबना देखिए कि वही मनमोहन सिंह अपनी अर्थव्यवस्था को मंदी के भंवर से बाहर निकालने में...

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केंद्र सरकार से नहीं मिल रहा पर्याप्त खाद

रायपुर। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के केबिनेट बैठक में आज प्रदेश में खाद और बीज की कमी पर चर्चा हुई। मानसून सीजन आने के साथ डीएपी खाद की भारी कमी हो गई है। राज्य ने जितनी मात्रा में खाद मांगा था, उसका केवल आधा आबंटित किया गया है। इसमें भी कटौती की जा रही है। आबंटन का केवल 30 प्रतिशत खाद प्रदेश को दिया जा रहा है। कैबिनेट बैठक के बाद कृषि मंत्री...

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जन्म से बंधी सामाजिक बेड़ियां : हर्ष मंदर

लाखों महिलाएं, पुरुष और बच्चे आज भी उन अपमानजनक सामाजिक बेड़ियों में बंधे हुए हैं, जो उनके जन्म से ही उन पर लाद दी गई थीं। आधुनिकता की लहर के बावजूद आज भी भारत के दूरदराज के देहातों में जाति व्यवस्था जीवित है। यह वह व्यवस्था है, जो किसी व्यक्ति के जाति विशेष में जन्म लेने के आधार पर ही उसके कार्य की प्रकृति या उसके रोजगार का निर्धारण कर...

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असंगति का संगीत- रोहिणी मोहन

कुछ मामलों में एक जैसे और ज्यादातर मामलों में एक-दूसरे से जुदा शांति और प्रशांत भूषण के छुए-अनछुए पहलुओं की पड़ताल करती रोहिणी मोहन की रिपोर्ट मई, 1995 की एक दोपहर को सामाजिक कार्यकर्ता हिमांशु ठक्कर अपने वकीलों प्रशांत और शांति भूषण के साथ सर्वोच्च न्यायालय में बैठे हुए थे. उनसे जरा-सी दूरी पर मुख्य न्यायाधीश एएस आनंद एक ऐसा फैसला सुना रहे थे जो पूर्वी गुजरात के कम से कम...

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बच्चों से काम कराया तो खैर नहीं

पटना. अब अगर किसी असंगठित क्षेत्र के मजदूर के साथ अन्याय होता है तो ऐसी हालत में पुलिसिया कार्यवाई की जा सकती है। श्रम संसाधन विभाग ने मजदूरों के हितों की रक्षा के लिए यह कदम उठाया है। विभाग का मानना है कि अंसगठित क्षेत्र के मजदूर अशिक्षित एवं आर्थिक रूप से कमजोर होते है जिन्हें ठेकेदार द्वारा विभिन्न स्तरों पर शोषित किया जाता है। ऐसे में उनके हितों की रक्षा सिर्फ...

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