अहमदाबाद। जमीन देने की मांग वाला आवेदनपत्र नामंजूर होने के बाद राजकोट जिले की पड़घरी तहसील के किसान ने तहसील में ही जहर पीकर आत्महत्या कर ली। इस घटना से नाराज स्थानीय लोगों के साथ परिजनों ने शव को जिला क्लेक्टर कार्यालय ले जाकर घरना दिया। कार्यकारी कलेक्टर के न्याय के आश्वासन और इस मामले को एक बार फिर विशेष सचिव (विवाद) के समक्ष समीक्षा के लिए पेश करने तथा हर...
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विकास के मौजूदा मॉडल के विनाशकारी पहलू- सच्चिदानंद सिन्हा
आज जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है. मौसम का चक्र बदल रहा है. कभी बिन मौसम भारी बरसात, तो कभी बारिश के मौसम में सूखा. कभी असमय भारी बर्फबारी, तो कभी धुंध. धरती गर्म हो रही है. ग्लेशियर पिघल रहे हैं. जलस्तर बढ़ने के कारण समुद्र से घिरे द्वीपीय इलाकों के डूबने का खतरा पैदा हो रहा है. इनके सबकी वजह है बढ़ता प्रदूषण और पर्यावरण का...
More »आखिर किस कीमत पर विकास? - एमएम बुच
प्रधानमंत्री ने लाल किले की प्राचीर से कहा था कि भारत में तीव्र आर्थिक विकास और औद्योगीकरण आवश्यक है, किंतु उत्पादन की गुणवत्ता इतनी ऊंची होनी चाहिए कि विश्व भर में उसकी ख्याति हो। साथ ही विकास एवं औद्योगीकरण पर्यावरण के अनुकूल हो। इस ओर विशेष ध्यान दिया जाए कि विकास के कारण पर्यावरण पर कोई प्रतिकूल असर न पड़े। यूपीए सरकार से यह शिकायत रहा करती थी कि भू-अर्जन नीति...
More »आलू : तय होगा न्यूनतम समर्थन मूल्य
कोलकाता. आलू की खेती करनेवाले किसानों को घाटे से बचाने के लिए राज्य सरकार ने नयी पहल शुरू करने का फैसला किया है. सरकार की ओर से किसानों को आलू के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) प्रदान करने का फैसला किया है, जिससे किसानों के हितों की रक्षा की जा सके. बाजार में आलू की कीमत सातवें आसमान पर है, लेकिन इससे किसानों को कोई खास फायदा नहीं हो रहा है,...
More »खेती की सुध कौन लेगा- धर्मेन्द्रपाल सिंह
जनसत्ता 1 अगस्त, 2014 : मौसम विभाग दावा कर रहा है कि वर्षा सामान्य से केवल दस प्रतिशत कम रहेगी। लेकिन बुआई का कीमती समय निकल जाने की भरपाई कैसे होगी, इसका जवाब उसके पास नहीं है। कृषि मंत्रालय ने एक जून से सत्रह जुलाई के बीच देश भर में धान, दलहन, सोयाबीन, कपास, मूंगफली आदि की बुआई का जो रकबा जारी किया है उसे देख कर लगता है कि इस...
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