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एशिया का सबसे बड़ा दलहन अनुसंधान केन्द्र मप्र में स्थापित होगा

भोपाल। विश्व के ख्यात अंतर्राष्ट्रीय शुष्क क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र (इकार्डा) द्वारा दलहनी फसलों के शोध और तकनीकी प्रसारण का एशिया का सबसे बड़ा केन्द्र मध्यप्रदेश में स्थापित किया जायेगा। संस्थान ने केन्द्र हेतु चीन के स्थान पर भारत को चयनित किया है। प्रदेश शासन ने इस उपयोगी संस्थान के लिये सीहोर जिले के अमलाहा में 71 हेक्टयर भूमि उपलब्ध करवायी है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से इकार्डा लेबनान के महानिदेशक...

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दलहन-तिलहन का उत्पादन कम होने के आसार, 7 फीसदी घटी धान की बुआई

कृषि विभाग का अनुमान है कि इस साल दालों और तिलहन का उत्पादन घट सकता है। तिलहन में खासकर सोयाबीन की बुआई देर से हुई है जिसके कारण उत्पादकता घट सकती है। कृषि सचिव के मुताबिक अभी भी पिछले साल के मुकाबले बुआई का रकबा कम है। पिछले साल मानसून जल्दी आया और भारी बारिश हुई जिसके चलते किसानों ने रिकॉर्ड बुआई की लेकिन इस साल लेट मानसून बुआई में...

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खेती की सुध कौन लेगा- धर्मेन्द्रपाल सिंह

जनसत्ता 1 अगस्त, 2014 : मौसम विभाग दावा कर रहा है कि वर्षा सामान्य से केवल दस प्रतिशत कम रहेगी। लेकिन बुआई का कीमती समय निकल जाने की भरपाई कैसे होगी, इसका जवाब उसके पास नहीं है। कृषि मंत्रालय ने एक जून से सत्रह जुलाई के बीच देश भर में धान, दलहन, सोयाबीन, कपास, मूंगफली आदि की बुआई का जो रकबा जारी किया है उसे देख कर लगता है कि इस...

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जनसंख्या के बढ़ते बोझ को भोजन उपलब्ध कराने ऊपरी व शुष्क भूमि की उपयोगिता बढ़ाना है जरूरी

वैज्ञानिकों में भ्रम है कि हम उन्नत तकनीक की बात कर रहे हैं, तो पूर्व की परिस्थिति में ही सिर्फ निचली व मध्यम भूमि की उपयोगिता से काम चल जायेगा. लेकिन नयी परिस्थितियों में ऊपरी भूमि का उपयोग बढ़ाना जरूरी है. वहां ऐसी फसलें लगाने की जरूरत है जो कम पानी में और जल्दी तैयार हो जायें. जैसे मकई, मडुवा व 100 दिनों में तैयार होने वाला धान. मध्यम व निचली...

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जनसंख्या के बढ़ते बोझ को भोजन उपलब्ध कराने ऊपरी व शुष्क भूमि की उपयोगिता बढ़ाना है जरूरी

वैज्ञानिकों में भ्रम है कि हम उन्नत तकनीक की बात कर रहे हैं, तो पूर्व की परिस्थिति में ही सिर्फ निचली व मध्यम भूमि की उपयोगिता से काम चल जायेगा. लेकिन नयी परिस्थितियों में ऊपरी भूमि का उपयोग बढ़ाना जरूरी है. वहां ऐसी फसलें लगाने की जरूरत है जो कम पानी में और जल्दी तैयार हो जायें. जैसे मकई, मडुवा व 100 दिनों में तैयार होने वाला धान. मध्यम व निचली...

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