भोपाल। सालों से अपनी कॉलोनियों को वैध कराने की कोशिश में लगे लोगों को अब विकास राशि का महज 20 प्रतिशत ही चुकाना होगा। इस राशि में भी वे विधायक या सांसद निधि से सहयोग लिया जा सकता है । यही नहीं, अब विकास राशिकी लिस्ट में से पानी सप्लाई,बिजली और सीवेज को बाहर कर दिया गया है। इससे 150 रुपए प्रतिवर्ग फीट की विकास राशि महज 60 रुपए ही...
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इंफ्रा-मुखी लुभावना बजट-- प्रमोद जोशी
भारत का बजट लोक-लुभावन राजनीति, राजकोषीय अनुशासन और अर्थशास्त्रीय नियमों की रोचक चटनी होता है. इसकी बारीकियां केवल वित्त मंत्री का भाषण सुननेभर से समझ में नहीं आतीं. अलबत्ता पहली नजर में सार्वजनिक प्रतिक्रिया समझ में आ जाती है. इस लिहाज से इस बार का बजट काफी बड़े वर्ग को खुश करेगा. इसमें सामाजिक क्षेत्र का ख्याल है, ग्रामीण क्षेत्र की फिक्र है, साथ ही छोटे करदाता की परेशानियों को...
More »कैशलेस अर्थव्यवस्था की मरीचिका--- पी चिदंबरम
जब-तब कोई नया शब्द या पद बातचीत में चल पड़ता है। आठ नवंबर 2016 को विमुद्रीकरण शब्द का चलन शुरू हुआ। ऐसा चित्रित किया गया जैसे जंगी घोड़े पर सवार कोई सेनापति काला धन, भ्रष्टाचार और नकली मुद्रा रूपी राक्षसों का वध करने निकला है।छह हफ्तों बाद भी काले धन के दैत्य का कुछ नहीं बिगड़ा है। टैक्स चोरी करने वाले नोटबंदी से अविचलित जान पड़ते हैं; वे नए नोटों...
More »सोना कितना सोना है-- सुधा सिंह
कौन स्त्री कितना गहना पहन या रख सकती है, यह स्त्री या उसका परिवार नहीं, सरकार तय कर चुकी है। भारत सरकार ने नोटबंदी की प्रक्रिया के दौरान घबराई हुई जनता का डर दूर करने के लिए सन 1994 से स्वर्ण और आभूषण रखने को लेकर चले आ रहे नियमों को पुन: पुष्ट कर इस ओर नई बहस की शुरुआत कर दी है। इस घोषणा की जरूरत नहीं थी, लोग...
More »जुगाड़ का मोहताज न बने लोकतंत्र - मृणाल पांडे
क्या इसे महज एक संयोग माना जाए कि देश की तकरीबन हर पार्टी और राजनीति में आकंठ निमग्न शीर्ष नेता के कुटुंबों के भीतर और पार्टी के असंतुष्टों के बीच की भीषण तनावमय टूट इन दिनों शर्मनाक झगड़ों में तब्दील हो-होकर चौरस्तों पर बिखर रही है? एक न एक दिन तो यह होना ही था। वजह यह कि गए कई दशकों में जवान होता लोकतंत्र हमारे बीच राजनीति से अर्थनीति...
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