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पांच फिजिशियनों के भरोसे छत्‍तीसगढ़ के 72 लाख आदिवासी

आवेश तिवारी, नई दिल्ली। पांच फिजिशियन और पांच महिला चिकित्सकों के भरोसे छत्तीसगढ़ के लगभग 72 लाख आदिवासियों का इलाज किया जा रहा है। स्वास्थ्य सेवाओं पर करोड़ांे स्र्पए के वार्षिक बजट और राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन जैसी योजनाओं के होते हुए भी आलम यह है कि यहां के आदिवासी इलाकों में बाल चिकित्सकों के स्वीकृत 82 पदों के सापेक्ष महज 8 चिकित्सकों की तैनाती हो पाई है। भारत सरकार...

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अब अस्पतालों में दवाओं की कमी, सिर्फ 15 दिनों की दवा

पटना: राज्य के सरकारी अस्पतालों में भरती या इलाज करानेवाले मरीजों को अगले 15 दिनों के बाद अपने पैसे से दवाएं खरीदने की नौबत आनेवाली है. सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) तक में दवाओं का स्टॉक खत्म होने को है. अस्पतालों को दवा की आपूर्ति करनेवाली बिहार मेडिकल सर्विसेज एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीएमएसआइसीएल) के गोदाम में भी दवाओं की कमी का असर दिखने लगा है....

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बजर पड़े तो बजरा बोएं, आधुनिक तरीके से करें बाजरे की खेती- डा. प्रवीण कुमार द्विवेदी

बाजरा अथवा पर्लमीलेट (पेनीसेटम टाईफ्वायडस एल) एक महत्वपूर्ण मोटे अनाज वाली फसल है. इसकी खेती प्रागैतिहासिक काल से अफ्रीका एवं एशिया प्रायद्विप में होती रही है. तमाम मौसम संबंधित कठोर चुनौतियों का सामना खासकर सूखा को आसानी से सहने के कारण राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्रा, ओडीसा, पश्चिम बंगाल, हरियाणा, उत्तर प्रदेश एवं अन्य सुखा ग्रस्त क्षेत्रों की यह महत्वपूर्ण फसल है. समस्त अनाजवाली फसलों में सूखा के प्रति सर्वाधिक प्रतिरोधक...

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मरीजों की दवाएं और ब्रेड भी खा गये

पटना: पीएमसीएच के जेनरल सजर्री विभाग में दवाओं का धंधा चल रहा है. किसी बीमारी पर जितना खर्च बाहर होता है, उतना ही पीएमसीएच में भी होता है. ऐसे में मरीजों का हाल बुरा है. मरीजों के परिजनों से बार-बार बाहर से दवाएं मंगवायी जाती हैं. यह सजर्री के सभी यूनिटों का हाल है. कुछ यूनिट ऐसे भी हैं, जो अस्पताल की दवा लिखते ही नहीं हैं और मरीजों को बाहर...

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स्वास्थ्य केंद्रों में 85 प्रतिशत तक दवा की कमी

रांची : झारखंड की प्रधान महालेखाकार (पीएजी) मृदुला सप्रु ने बताया कि राज्य सरकार इंदिरा आवास योजना में केंद्र से 256.42 करोड़ रुपये नहीं ले सकी. राज्य के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में 26 से 85 फीसदी तक दवा की कमी है. एएनएम और नर्से गांवों में ऐसी दवाएं बांट रही हैं, जिन्हें बांटने का उन्हें कानूनी अधिकार नहीं है. इस दवाओं से मरीजों की जिंदगी पर खतरा हो सकता है....

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