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75000 करोड़ काला धन चुनावों में खर्च

नयी दिल्ली : लोकसभा चुनाव के छठे चरण के करीब पहुंचने के बीच एक नयी अध्ययन रिपोर्ट जारी की गयी है. इसमें कहा गया है कि पिछले पांच सालों में देश में हुए विभिन्न चुनावों में डेढ़ लाख करोड़ रुपये से अधिक धन खर्च किया गया. इसमें से आधे से अधिक धन (75,000 करोड़ रुपये से ज्यादा) ‘बेहिसाब स्नेतों’ से आया था. सेंटर फॉर मीडिया (सीएमएस) द्वारा कराया गया यह...

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हिमाचल प्रदेश: बंदर और चमगादड़ बने चुनावी मुद्दा

आम चुनाव के दौर में हिमाचल प्रदेश में बंदर और चमगादड़ भी मुद्दा बन गए हैं। दरअसल ये जीव फसलों का काफी नुकसान करते हैं जिसकी मार किसानों पर पड़ती है। यही वजह है कि राज्य के किसान इन जीवों से अपनी फसल बचाने के लिए किसी पुख्ता व्यवस्था की मांग सरकार से करते रहे हैं। बंदरों का उत्पात तो हिमाचल प्रदेश के चुनावों में पहले से गंभीर मुद्दा बनता रहा...

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समाजवाद की संभावना थे सुनील- अरुण कुमार त्रिपाठी

सुनील भाई से जब भी मिला, जहां भी मिला उन्हें एक जैसा ही पाया. वे रंग बदलनेवाले और रंग दिखानेवाले समाजवादी नहीं थे. उन्हें देख कर और याद कर मुक्तिबोध की बौद्धिकों पर व्यंग्य में की कही गयी कविता की पंक्तियां पलट कर कहने का मन करता है.  मुक्तिबोध ने आज के बुद्धिजीवियों के लिए कहा था- ‘उदरंभरि अनात्म बन गये, भूतों की शादी में कनात से तन गये, लिया बहुत...

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कालाहांडी में बार-बार चढ़ती काठ की हांडी- सलमान रावी

शहर कैसा होता है? इन्हें नहीं पता। बस कैसी होती है? ये नहीं जानतीं। "शायद शहर में मेम रहती है। मुझे पता नहीं। शहर बहुत बड़ा होगा। वहां बिजली होगी। जगमग-जगमग करता होगा। वहां मेले लगते होंगे। शहर की लड़कियां बहुत ख़ूबसूरत होंगी लेकिन मैंने उन्हें कभी नहीं देखा।" ये कल्पना है, कालाहांडी के पेर्गुनी पाड़ा गाँव में रहने वाली ललिता की, जिसने कभी शहर नहीं देखा है। ललिता के सपनों...

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समावेशी विकास का वायदा- जयराम रमेश

कांग्रेस के 2014 के घोषणापत्र के आवरण पर प्रकाशित 'आपकी आवाज-हमारा संकल्प' बखूबी अपना संदेश प्रकट कर देता है। राहुल गांधी के नेतृत्व में पूरे देश में तीस से अधिक सुझावों और 1.3 लाख लोगों के विचारों को शामिल करके तैयार किया गया यह घोषणापत्र लंबे समय से पार्टी के आदर्श रहे न्याय, समता और गरिमा के विचारों पर आधारित है। तेजी से आधुनिक हो रहे देश के लिए यह...

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