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आंदोलन में 675 से अधिक किसानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा: संयुक्त किसान मोर्चा

- जनपथ, तीन किसान-विरोधी, लोक-विरोधी और कॉर्पोरेट-समर्थक काले कानूनों को निरस्त करने के भारत सरकार के निर्णय के संबंध में भारत के प्रधानमंत्री द्वारा आज सुबह की घोषणा का स्वागत योग्य है और भारत के किसानों की एकजुटता की पहली बड़ी जीत है। कानूनों को निरस्त करने के लिए मजबूर कर किसानों के संघर्ष ने देश में लोकतंत्र और भारत में संघीय राज्य व्यवस्था को बहाल किया है, हालांकि अब भी...

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'कोविड-19 से उबरने के बाद छह माह से गंध व स्वाद मुक्त जीवन जी रहा हूं मैं'

-डाउन टू अर्थ, लगभग दो सौ दिनों से मैं दो मौलिक इंद्रियों, गंध और स्वाद के बिना जी रहा हूं, ये दोनों इंद्रियां आपस में अंतरग रूप से जुड़ी हैं। इस साल अप्रैल के अंत में मेरा, पत्नी और बेटी का कोविड-19 टेस्ट पॉजिटिव आया था। जहां तक मुझे याद है, मई के पहले सप्ताह में मेरा स्वाद और गंध चली गई। जैसा कि मैं लिख रहा हूं-अभी तक ये दोनों वापस...

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भुगतान में देरी, कम मूल्य से परेशान यूपी की गोवंश सहभाग‍िता योजना के किसान

-इंडियास्पेंड, उत्‍तर प्रदेश में छुट्टा पशुओं की समस्‍या को देखते हुए राज्‍य सरकार ने एक योजना शुरू की है। इसके तहत छुट्टा पशुओं को पालने वाले लोगों को सरकार प्रतिदिन रुपये 30 देती है, मतलब एक महीने का रुपये 900। हालांकि यह पैसा लोगों तक पहुंचने में छह महीने से एक साल से ज्‍यादा का वक्‍त लग रहा है। भुगतान की इस व्‍यवस्‍था से लोग खासे परेशान हैं। उन्‍नाव ज‍िले के सराएं...

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महाराष्ट्र के गांवों में हर साल क्यों आती है बाढ़?

-न्यूजलॉन्ड्री, महाराष्ट्र गोवा और कर्नाटक से होकर जाने वाला कोंकण रेलवे मार्ग सबसे सुंदर ट्रेन यात्रा में से एक माना जाता है. यहां ट्रेन की पटरियां सहयाद्री की पहाड़ियों की तलहटी, लहलहाते हुए जंगलों और कलकल बहती नदियों से लगकर लहराते हुए जाती हैं. कोंकण रेलवे का निर्माण चुनौतियों से भरा था, मानसून के दौरान मूसलाधार बरसात, भुरभुरी मिट्टी जिसकी वजह से सुरंगे कई बार रह जाती थीं और पश्चिमी घाटों के...

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महंगाई ले चुकी है स्थायी रूप , शहरी से ग्रामीण तक सभी प्रभावित

-रूरल वॉइस, मंहगाई देश में होने वाले पांच राज्यों मे आगामी विधानसभा चुनावों के लिए एक अहम मुद्दा बन चुका है  क्योंकी रोजमर्रा के खर्च में मंहगाई अब हमारे जीवन हिस्सा ही बन गई है।  इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उपभोक्ता मूल्य सूचकां (सीपीआई) या थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) किस तरह के आंकड़े पेश करते हैं।  हकीकत यह है कि इस बार की मंहगाई की जड़े काफी गहरी हैं और ...

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